नई दिल्ली. बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई के बाद से ही ये मामला चर्चा में बना हुआ है. 2002 गुजरात दंगों की पीड़िता बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर दी है, बिलकिस ने 13 मई को आए कोर्ट के आदेश पर फिर से विचार करने की मांग की है. कोर्ट […]
नई दिल्ली. बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई के बाद से ही ये मामला चर्चा में बना हुआ है. 2002 गुजरात दंगों की पीड़िता बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर दी है, बिलकिस ने 13 मई को आए कोर्ट के आदेश पर फिर से विचार करने की मांग की है. कोर्ट के इसी आदेश के आधार पर बिलकिस से सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के दोषी रिहा हो गए थे. ये मामला आज चीफ जस्टिस के सामने रखा गया, ऐसे में चीफ जस्टिस ने इस पर विचार कर उचित बेंच के सामने मामला लाने का आश्वासन भी दिया.
“3 मार्च 2002”, बाकी दुनिया के लिए भले ही ये दिन आम रहा हो लेकिन इस दिन बिलकिस बानो का पूरा जीवन तबाह हो गया. बात उस समय की है जब बिलकिस के गर्भ में पांच महीने के पल रहे बच्चे के स्वागत के लिए उनका परिवार तैयारियों में जुटा हुआ था, लेकिन इन खुशियों के आने से पहले ही गुजरात में हुए दंगों में सब तबाह हो गया. दंगाईयों की भीड़ बिलकिस के घर में घुसी और निर्ममता से उसकी आंखों के सामने पूरे परिवार को खत्म कर दिया, लेकिन दंगाई यहाँ भी नहीं रुके बल्कि उन्होंने बिलकिस के साथ हैवानियत भी की. बिलकिस के साथ गैंगरेप किया गया. उसके साथ इतनी बदसलूकी की गई गई कि वह दर्द से तड़पकर बेहोश हो गई और जब बिलकिस को होश आया तो उन्होंने न्याय के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी. लंबी लड़ाई के बाद उसके दोषियों को उम्रकैद की सज़ा हुई लेकिन अब बिलकिस के दोषियों को गुजरात सरकार ने रिहा कर दिया है. इससे एक बार फिर बिलकिस बानो केस चर्चा में आ गया है.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जहाँ गुजरात सरकार के हलफनामे में केंद्र सरकार की सहमति का ज़िक्र आने के बाद इस मामले पर एक बार फिर राजनीति गरमा गई, इस मामले में विपक्ष लगातार केंद्र सरकार और राज्य सरकार पर निशाना साध रहा है.
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