राज्य

Bihar School Caste System: बिहार के सरकारी स्कूलों में जाति के आधार पर अलग-अलग क्लास में बिठाए जा रहे बच्चे

वैशाली (बिहार). देश में अभी भी जाति के आधार पर लोगों को बांटा जा रहा है. इसका एक उदाहरण हाल ही में बिहार में देखने को मिला. बिहार के एक स्कूल में बच्चों को जाति के आधार पर बांटा जा रहा है. ये कोई प्राइवेट स्कूल नहीं बल्कि सरकार द्वारा चलाया जा रहा सरकारी स्कूल ही है. जहां पिछले चार साल से बच्चों को जाति के आधार पर अलग-अलग क्लास में बिठाया जाता है. वहीं इस बारे में बिहार शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें ऐसा किए जाने की कोई जानकारी नहीं थी. जाति के आधार पर बांटे जाने वाली इस प्रथा को बिहार के जीए उच्चतर माध्‍यमिक (प्लस2) स्कूल में निभाया जा रहा है. मंगलवार को मामला सामने आने पर विभाग के अधिकारियों ने आदेश दिए की इस मामले में जांच की जाए. 

कहा जा रहा है कि स्कूल में सभी बच्चे एक साथ आते और एक साथ ही स्कूल से जाते हैं. लेकिन स्कूल में आने के बाद उन्हें जाति और धर्म के आधार पर अलग-अलग क्लास में बिठा दिया जाता है. बिहार के एक सरकारी स्कूल में बच्चों को जाति के आधार पर बांटा जा रहा है. बच्चों को अलग-अलग क्लास में जाति के आधार पर बांट कर बिठाया जा रहा है. इस बारे में बिहार के शिक्षा विभाग ने किसी भी तरह की जानकारी होने की बात से इंकार किया है. ये स्कूल बिहार के वैशाली में लालगंज में स्थित है. स्कूल में ये प्रथा चार साल से चली आ रही है. बताया जा रहा है कि दलित और मुस्लिम छात्रों को क्लास में बैठने ही नहीं दिया जाता. साथ ही हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बच्चों के लिए अलग-अलग क्लास रखी गई हैं. वहीं उच्च जाति, ओबीसी और दलितों के लिए भी अलग क्लास रखी गई है. स्कूल ने अलग-अलग जाति और समुदाय के बच्चों के लिए अलग-अलग अटेंडेंस रजिस्टर भी तैयार कर रखे हैं. 

लालगंज के ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर, अरविंद कुमार तिवारी ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा, ‘स्कूल की जांच के दौरान पता चला की वहां पर जाति प्रथा निभाई जाती है. इसके मामले में एक विस्तृत रिपोर्ट जिले के शिक्षा अधिकारी को भेजी जाएगी. जिसके बाद मामले में जरूरी कार्रवाई की जाएगी.’ हालांकि स्कूल प्रमुख मीना कुमारी ने दावा किया कि बच्चों को इस आधार पर बांटना कई मायनों में फायदेमंद साबित हुआ है. उन्होंने कहा, ‘ये प्रथा शांति से शिक्षा प्रक्रिया को चलाने में मदद करती है. साथ ही इस सरकार की योजनाओं को बांटने में भी आसानी हो जाती है. ये कोई जाति या धर्म के आधार पर बंटवारा नहीं है. इसके स्कूल पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़े हैं. यहां तक की इस प्रथा के खिलाफ कभी कोई शिकायत भी नहीं की गई है.’ बिहार के शिक्षा मंत्री कृष्णा नंदन प्रसाद वर्मा ने मामले के बारे में जानने पर हैरानी जताई. उन्होंने कहा, ‘ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस तरह की प्रथा अभी भी देश में निभाई जाती है. मैंने मामले में पूरी जांच के आदेश दे दिए हैं. इस मामले में जिम्मेदार लोगों के खिलाफ जरूरी कार्रवाई की जाएगी.’

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Aanchal Pandey

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