बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में बच्चियों से रेप के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को स्वतः संज्ञान लेकर केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था. शुक्रवार को पहली बार इस मामले पर राज्य के सीएम नीतीश कुमार ने बोला तो कहा कि मामले ने सबको शर्मसार कर दिया है. किसी के साथ रियायत नहीं बरती जाएगी और दोषियों को सख्त सजा दी जाएगी. उन्होंने सीबीआई जांच की हाईकोर्ट निगरानी की बात की. जिस केस में सुप्रीम कोर्ट नोटिस जारी कर चुका है उसमें नीतीश कुमार का हाईकोर्ट से निगरानी का दांव क्या उनके अंदर किसी भय का संकेत है ?
पटना. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुजफ्फरपुर स्थित सेवा संकल्प एवं विकास समिति बालिका गृह यानी शेल्टर होम में बच्चियों से रेप मामले पर पहली बार चुप्पी तोड़ी. नीतीश ने कहा, ”दोषियों के साथ कोई रियायत नहीं बरती जाएगी. इस घटना ने हमें शर्मसार कर दिया है. सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है और हाईकोर्ट इस केस की निगरानी करे”.
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली केंद्र और बिहार सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था. सवाल उठता है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लिया है तो नीतीश कुमार ने मामले की जांच की हाईकोर्ट से निगरानी की बात क्यों कह रहे हैं. क्या बिहार के मुख्यमंत्री सुप्रीम कोर्ट के स्वत: संज्ञान नोटिस से डर गए हैं. उनको डर लग रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने जांच की निगरानी की तो उनके लिए या उनके कथित चहेतों के लिए मुश्किल होगी.
नीतीश कुमार जैसा सजग, सक्रिय और संवेदनशील एक सीएम ये जानते हुए कि सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर नोटिस दे रखा है फिर भी ये कहे कि सीबीआई की जांच की निगरानी हाईकोर्ट करे तो लगता है कि या तो वो डर रहा है या वो अनजान बनने की कोशिश कर रहा है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में हाथ डाल चुका है.
मुमकिन है कि अगर सुप्रीम कोर्ट बिहार सरकार के जवाब से संतुष्ट न हुआ तो शीर्ष अदालत की तल्ख टिप्पणी भी नीतीश को झेलनी पड़ेगी. कोर्ट नीतीश कुमार से यह भी पूछ सकता है कि इतने वर्षों से बालिका गृह चल रहा था, एेसे में सरकार को इस घिनौनी हरकत की भनक कैसे नहीं लगी.
संस्था को 1 करोड़ का फंड जारी करने पर भी बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट के सवालों पर घिर सकती है. इन सभी के जवाब देना नीतीश कुमार के लिए परेशानी का सबब बन सकता है. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया और अन्य पदाधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा था कि हर कोई पीड़िता से मिलना चाहता है, लेकिन किसी को उनकी फ्रिक नहीं है. और जब मामला सर्वोच्च अदालत में पहुंच जाए वो भी बिना किसी के कहे या उठाए तो सरकार कोई चला रहा हो, माथे पर पसीना तो आएगा ही.
बता दें कि आरजेडी नेता तेजस्वी यादव समेत अन्य विपक्षी पार्टियों के नेता जंतर-मंतर पर 4 जुलाई की शाम को सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करेंगे. 24 जुलाई को बालिका गृह के संचालक ब्रजेश ठाकुर समेत 11 कर्मचारियों को लड़कियों के कथित यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. सूचना मिलने के बाद पुलिस ने बालिका गृह में रेड डाली और 44 लड़कियों को निकाला. टाटा इंस्टिट्यूट अॉफ सोशल साइंसेज (TISS) की रिपोर्ट में 34 लड़कियों से रेप की पुष्टि हुई थी. मजिस्ट्रेट के सामने लड़कियों ने जो खौफनाक मंजर बयां किया था, उसे सुनकर हर किसी से होश उड़ गए थे.