Bihar Rape Case: बिहार के आरा में एक 19 साल की दलित महिला को गलियों में भीड़ ने नग्न घुमाया था, जिसके बाद इस आरजेडी सहित सभी विपक्षी पार्टियों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुआई वाली एनडीए सरकार की कड़ी आलोचना की थी. कोर्ट ने इस मामले में बेहद तेज सुनवाई करते हुए 5 दोषियों को 7 और अन्य को 2 साल कैद की सजा सुनाई है.
आरा. बिहार के आरा में 19 साल की दलित महिला को नग्न घुमाने में शामिल होने के शक में अदालत ने 20 लोगों को जेल की सजा सुनाई है. महिला को अगस्त में नग्न घुमाया गया था. अतिरिक्त जिला एवं सत्र जज रमेश चंद्र द्विवेदी ने 20 में से 5 आरोपियों को 5 साल और अन्य 15 को 2 साल कैद की सजा सुनाई है. सभी को 28 नवंबर को दोषी पाया गया था. यह घटना 20 अगस्त को एक रेड लाइट एरिया में हुई, जहां दमोदरपुर गांव के रहने वाले विमलेश साह का शव उनके लापता होने के अगले दिन मिला था. भीड़ को शक हुआ कि रेड लाइट एरिया के लोग इस हत्या में शामिल हैं, जिसके बाद उन्होंने जमकर हिंसा और आगजनी की और एक दलित महिला को पीटते हुए उसके कपड़े फाड़कर गलियों में नग्न घुमाया.
जिन 5 दोषियों को 7 साल की सजा सुनाई गई है उन पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया. बाकी दोषियों को 2 हजार रुपये का जुर्माना भरना होगा. सभी 20 दोषियों को एससी/एसटी एक्ट के तहत दोषी पाया गया है. मामले में जल्द फैसले की तारीफ करते हुए बिहार के डिप्टी चीफ मिनिस्टर सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट में लिखा, ”एनडीए सरकार द्वारा कानून के ऊंचे बेंचमार्क सेट किए जाने का यह ताजा उदाहरण है. सभी दोषियों को 100 दिनों के भीतर सजा सुनाई गई है.”
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े और भी खौफनाक दास्तां बयां करते हैं. साल 2010 में बलात्कार के 5484 मामले दर्ज किए गए, जो 2014 में बढ़कर 13,766 हो गया. संसद में पेश आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर 2014 तक पॉक्सो एक्टर के तहत दर्ज हुई 6816 एफआईआर में सिर्फ 166 लोगों को ही सजा मिली. 389 मामलों में आरोपी को बरी कर दिया गया. दिल दहला देने वाले निर्भया कांड के बाद साल 2013-14 में सरकार ने निर्भया फंड बनाया था, जिसकी शुरुआत 1 हजार करोड़ रुपये से की गई थी. 2014-15 में इसमें 1 हजार करोड़ रुपये और जमा किए गए. 2015-16 में कोई राशि नहीं दी गई, जबकि 2016-17 में राशि घटाकर 550 करोड़ कर दी गई.