Bihar: पानी के लिए तरस रहे मुजफ्फरपुर के लोग, प्रशासन ने नहीं किया इंतज़ाम

पटना: भले ही सरकार गांव-गांव में विकास यात्रा निकाल कर ग्रामीण विकास के खोखले दावे कर रही है, लेकिन धरातल पर हकीकत ग्रामीण विकास के दावों की पोल खोल रही है। मामला बिहार के मुजफ्फरपुर का है। जहां पर लोग पानी की बूंद को तरस रहे हैं लेकिन बेहाल ग्रामीणों की सुध लेने वाला कोई […]

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Bihar: पानी के लिए तरस रहे मुजफ्फरपुर के लोग, प्रशासन ने नहीं किया इंतज़ाम

Amisha Singh

  • May 22, 2023 4:01 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

पटना: भले ही सरकार गांव-गांव में विकास यात्रा निकाल कर ग्रामीण विकास के खोखले दावे कर रही है, लेकिन धरातल पर हकीकत ग्रामीण विकास के दावों की पोल खोल रही है। मामला बिहार के मुजफ्फरपुर का है। जहां पर लोग पानी की बूंद को तरस रहे हैं लेकिन बेहाल ग्रामीणों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। प्रशासन के सुस्त रवैये का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। यहां पर पिछले चार महीने से पंप खराब है जिसके चलते हजारों की तादाद में लोग पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं।

 

➨ मुजफ्फरपुर के लोगों को पानी भी नसीब नहीं

लोगों ने कहा कि बोरिंग फेल होने से किसी के घर में पानी नहीं आ रहा है। बिहार के मुजफ्फरपुर में नल जल व्यवस्था ठप है। लोग साफ़ पानी की एक-एक बूंद को तरसते हैं। ऊपर से झुलसाने वाली गर्मी पड़ रही है। इस गर्मी से परेशान लोग पानी की तलाश में हैं। लोग खाली बाल्टी लेकर पानी लेने के लिए कतार में लगे हैं, लेकिन पीने का पानी कहीं नहीं मिल रहा है।

➨ कब तक होगा पानी का पंप ठीक?

यह पूरा मामला मुजफ्फरपुर के चंदवारा पंप हाउस का है। पंप खराब हुए चार माह हो चुके हैं, लेकिन पंप अभी तक ठीक नहीं किया गया है। पानी की किल्लत से उमस भरी गर्मी से परेशान लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। जिसके बाद सभी लोग पंप हाउस चले गए। इसके बाद नाराज़ लोगों ने हंगामा किया और पंप हाउस मेंके स्टाफ को भला-बुरा कहा। लोगों का कहना है कि गर्मी शुरू होते ही चार महीने तक पानी की सप्लाई ठप हो जाती है। बार-बार बोलने के बाद भी इसका हल नहीं निकाला गया है।

 

➨ पानी के लिए भटकने को मजबूर

आस-पास की औरतों का कहना है कि लोगों के घरों में पानी नहीं होने की वजह से खाना नहीं बन पाता है। बच्चों को नहाए हुए एक महीना हो गया है, लेकिन हमारी परेशानी को सुनने वाला कोई नहीं है। ऐसे में न तो सरकार और न ही प्रशासन उनकी ओर ध्यान देता है। गांव के लोगों की हालत बद से बदतर होती जा रही है, लेकिन उनकी फरियाद सुनने वाला कोई नहीं है। चुनावी दौड़ की तैयारी कर रहे जनप्रतिनिधि अगर उन लोगों पर भी ध्यान दें जिनके लिए वे सत्ता में हैं तो शायद इन गरीब लोगों के दिन बदल जाएं।

 

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