पटना : जातिगत जनगणना कराने के फैसले पर रोक लगाने की मांग पर कल यानी शुक्रवार(20 जनवरी) को सुप्रीम कोर्ट अहम सुनवाई करने जा रहा है. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच सर्वोच्च न्यायलय में सुनवाई करेगी. तीन याचिका दायर गौरतलब है कि बिहार में जातिगत जनगणना करवाए जाने के खिलाफ सुप्रीम […]
पटना : जातिगत जनगणना कराने के फैसले पर रोक लगाने की मांग पर कल यानी शुक्रवार(20 जनवरी) को सुप्रीम कोर्ट अहम सुनवाई करने जा रहा है. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच सर्वोच्च न्यायलय में सुनवाई करेगी.
गौरतलब है कि बिहार में जातिगत जनगणना करवाए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में तीन याचिकाएं दर्ज़ की गई हैं. इनमें से एक याचिका हिंदू सेना ने दाखिल की है. हिन्दू सेना की याचिका में कहा गया है कि बिहार सरकार जातिगत जनगणना कराकर भारत की अखंडता एवं एकता को तोड़ने का प्रयास कर रही है. इस याचिका में बिहार में जातिगत जनगणना के लिए 6 जून को राज्य सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग भी की गई है.
पहली याचिका बिहार निवासी अखिलेश कुमार ने दाखिल की है. अखिलेश कुमार की याचिका में कहा गया है कि बिहार राज्य की अधिसूचना और फैसला अवैध, मनमाना, तर्कहीन, असंवैधानिक और कानून के अधिकार के बगैर किया गया है. गौरतलब है कि बिहार कैबिनेट ने पिछले साल जून माह में जाति आधारित गणना को मंजूरी प्रदान करते हुए 500 करोड़ रुपये का आवंटन किया था. इसके लिए सर्वेक्षण पूरा करने के लिए 23 फरवरी की समय सीमा भी तय की गई थी. जातीय जनगणना के पक्ष में बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों द्वारा 2018 और 2019 में दो सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किए गए थे.
गौरतलब है कि इस सर्वे के लिए मोबाइल ऐप का इस्तेमाल किया जाएगा। इस ऐप में परिवार के लोगों का नाम, उनकी जाति, जन्मस्थान और परिवार के सदस्यों की संख्या से जुड़े हुए सवाल होंगे। इसके साथ ही उनके ऐप में उनकी आर्थिक स्थिति और सालाना आय से जुड़े हुए सवाल भी होंगे। जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार ने इस जातीय जनगणना की प्रक्रिया को पूरी करने के लिए मई 2023 तक का लक्ष्य रखा है। जिला स्तर पर गणना कराने की जिम्मेदारी संबंधित जिला मजिस्ट्रेटों को दी गई है।
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