पटना : बिहार के शिक्षामंत्री चंद्रशेखर का एक विवादित बयान सामने आया है. जहां उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान रामचरितमानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया है. जानकारी के अनुसार शिक्षा मंत्री का ये बयान तब आया जब वह नालंदा विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने ये विवादित बयान दिया है.
बता दें, इस दौरान शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सभागार में मौजूद हजारों की तादाद में छात्र छात्राओं को संबोधित कर रहे थे. इसी बीच उन्होने कहा कि भारत सशक्त और समृद्ध मोहब्बत से बनेगा, नफरत से नहीं। देश में 6 हजार से अधिक जातियां मौजूद हैं साथ ही जितनी जातियां हैं, उतनी ही नफरत की दीवार भी है. जब तक ये समाज में रहेंगी तब तक भारत विश्व गुरु नहीं बन सकता है. शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने आगे कहा कि संघ नागपुर से जुड़े लोग समाज में नफरत फैलाते हैं वो लोग समाज में मोहब्बत फैलाने के लिए निकले हुए हैं. इसके बाद शिक्षा मंत्री ने अपने संबोधन के दौरान रामचरितमानस के कई दोहों को पढ़ते हुए कहा कि यह (रामचरितमानस) समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है.
अपने इस कथन को स्पष्ट करते हुए वह आगे कहते हैं, ‘ रामचरितमानस समाज में दलितों, पिछड़ों और महिलाओं को पढ़ाई से रोकता है. इन लोगों को अपना हक़ दिलवाने से रोकता है. मनुस्मृति ने समाज में नफरत का बीज बोया था और फिर उसके बाद रामचरितमानस ने समाज में नफरत पैदा की थी. वर्तमान में गुरु गोलवलकर के विचार समाज में नफरत फैला रही है. बाबा साहब अंबेडकर ने मनुस्मृति को इसलिए जलाया क्योंकि वह दलितों और वंचितों के हक को छीनने की बात करती है.’ कार्यक्रम से निकलने के बाद शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने मीडिया से भी बातचीत की. इस दौरान वह अपने बयान पर कायम नजर आए.
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