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Bihar: Anand Mohan की रिहाई पर CM Nitish का बयान- दिक्कत क्या है…

पटना: बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन जेल से रिहा हो गए हैं. जिलाधिकारी जी कृष्णैया हत्या मामले में उन्हें उम्रकैद की सजा हुई थी, लेकिन जेल मैनुअल में बदलाव होने के बाद राज्य सरकार की ओर से उन्हें रिहा कर दिया गया. इस रिहाई को लेकर बिहार की सियासत गरमाई हुई […]

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Bihar: Anand Mohan की रिहाई पर CM Nitish का बयान- दिक्कत क्या है…
  • April 28, 2023 8:40 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

पटना: बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन जेल से रिहा हो गए हैं. जिलाधिकारी जी कृष्णैया हत्या मामले में उन्हें उम्रकैद की सजा हुई थी, लेकिन जेल मैनुअल में बदलाव होने के बाद राज्य सरकार की ओर से उन्हें रिहा कर दिया गया. इस रिहाई को लेकर बिहार की सियासत गरमाई हुई है जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी भेदभाव के आरोप लग रहे हैं. अब इस पूरे मामले में पहली बार नीतीश कुमार का बयान सामने आया है.

पहले ही बता दिया गया था – नीतीश

दरअसल बिहार में आनंद मोहन की रिहाई को नीतीश कुमार के पॉलिटिकल कार्ड के रूप में देखा जा रहा है. इसी को लेकर विपक्ष बिहार सीएम पर हमलावर है. हालांकि बिहार सरकार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी कह चुके हैं कि आनंद मोहन को कोई विशेष छूट नहीं मिली है बाकि उनकी रिहाई भी जेल नियमों के मुताबिक ही हुई है. इस मामले में शुक्रवार को नीतीश कुमार ने कहा कि इतने लोगों को जेल से रिहा किया जाता है. लेकिन एक आदमी की रिहाई पर जो कुछ कहा जा रहा है उसे सुनकर हमें बहुत आश्चर्य हो रहा है. इसमें ऐसी कौन सी बात है. राज्य के मुख्य सचिव को इस बारे में पहले ही सब कुछ बता दिया गया था.

हत्या में कोई फर्क होना चाहिए?

भाजपा के विरोध पर उन्होंने सुशील कुमार मोदी और आनंद मोहन की तस्वीर को दिखाते हुए कहा कि खुद सुशील कुमार मोदी ने आनंद मोहन की रिहाई की मांग की थी. इतना ही नहीं आनंद मोहन खुद 15 सालों तक जेल में रहे. ये निर्णय सबकी राय लेकर किया गया है. 2017 से अभी तक बिहार में 22 बार परिहार बोर्ड की बैठक हुई और 698 बंदियों को रिहा किया गया. इस कानून को बिहार में खत्म कर दिया गया तो इसमें क्या दिक्कत है. क्या सरकारी अधिकारी की हत्या और सामान आदमी की हत्या में कोई फर्क होता है या होना चाहिए.

आगे बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि ये पहली बार नहीं हुआ है. पहले भी कई लोगों को रिहा किया गया है लेकिन 27 लोगों में से केवल एक आदमी की ही चर्चा क्यों की जा रहे है. जब आनंद मोहन रिहा नहीं हुए थे तो कितने लोगों का कहना था कि उनकी रिहाई होनी चाहिए.

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