नई दिल्ली: मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के हक़ में फैसला सुनाते हुए राजधानी के उपराज्यपाल वीके सक्सेना को बड़ा झटका दिया है. ये फैसला उपराज्यपाल को यमुना की सफाई से जुड़ी उच्च स्तरीय समिति का अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर आया है. शीर्ष आदालत ने LG को यमुना सफाई कमिटी का चीफ […]
नई दिल्ली: मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के हक़ में फैसला सुनाते हुए राजधानी के उपराज्यपाल वीके सक्सेना को बड़ा झटका दिया है. ये फैसला उपराज्यपाल को यमुना की सफाई से जुड़ी उच्च स्तरीय समिति का अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर आया है. शीर्ष आदालत ने LG को यमुना सफाई कमिटी का चीफ बनाने के NGT के फैसले पर रोक लगा दी है.
NGT के फैसले पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार को बड़ी राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला दिल्ली सरकार द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनाया है. जहां NGT के आदेश पर केजरीवाल सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने रोक लगाने की मांग की थी. याचिका में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें यमुना सफाई के मामले में दिल्ली के LG को हाई लेवल कमेटी का अध्यक्ष बनाए जाने की बात कही गई थी.
इस फैसले पर दिल्ली सरकार का तर्क था कि NGT का यह आदेश दिल्ली में गवर्नेंस की संवैधानिक योजना और SC की संवैधानिक पीठ के आदेशों का उल्लंघन करता है. बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा था कि दिल्ली में तीन विषयों को छोड़कर सभी मुद्दों पर चुनी हुई सरकार का अधिकार होगा.
इसी साल की शुरुआत यानी जनवरी में NGT ने एक आदेश जारी किया था. इस आदेश में यमुना नदी प्रदूषण को हल करने के लिए दिल्ली में अलग-अलग कमेटियों का गठन करते हुए उपराज्यपाल को इसका अध्यक्ष बनाए जाने की बात कही गई थी. इस फैसले के बाद केजरीवाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था जहां दिल्ली सरकार ने शीर्ष अदालत में दर्ज़ की याचिका में एनजीटी के आदेश द्वारा एलजी को दी गई कार्यकारी शक्तियों पर आपत्ति जताई थी. ये भी कहा गया था कि LG को दी गई शक्तियां दिल्ली की चुनी हुई सरकार के अधिकार क्षेत्रों पर अतिक्रमण करती है.