चंडीगढ़ : सरकार द्वारा गौ रक्षा के दावे किस कदर धरातल पर धराशाई होते दिखाई दे रहे हैं। इसका एक जीता जागता उदाहरण पलवल के भंगुरी रजवाई के निकट देखने को मिला. जहां शुक्रवार के दिन के करीब 11 बजे एक नंदी बिजली की तारों की चपेट में आकर मौत का शिकार हो गया. नंदी […]
चंडीगढ़ : सरकार द्वारा गौ रक्षा के दावे किस कदर धरातल पर धराशाई होते दिखाई दे रहे हैं। इसका एक जीता जागता उदाहरण पलवल के भंगुरी रजवाई के निकट देखने को मिला. जहां शुक्रवार के दिन के करीब 11 बजे एक नंदी बिजली की तारों की चपेट में आकर मौत का शिकार हो गया. नंदी को दफनाने के लिए गौ रक्षक नगर परिषद से लेकर विधायक तक गुहार लगाते रहे. बावजूद इसके देर रात तक भी नंदी वही पड़ा रहा. जिसे लेकर गौ रक्षक आक्रोश में दिखाई दिए. गौ रक्षक भीम ने बताया कि सुबह करीब 11 बजे नंदी मौत के आगोश में समा गए. जिसे लेकर नगर परिषद कर्मचारियों से लेकर नगर परिषद अध्यक्ष से बात की गई. लेकिन कोई हल नहीं निकला. भीम ने बताया कि गौ रक्षा के दावे करने वाली सरकार के विधायक दीपक मंगला से गौ रक्षकों ने संपर्क किया. तो उनका भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं था.
मौके पर खड़े गौ रक्षक प्रवीण गुरु जी ने बताया कि सरकार द्वारा गोरक्षा के नाम पर बड़े बजट खर्च किए जाते हैं. लेकिन जमीनी हकीकत में गोवंश आज भी दयनीय स्थिति में है. उन्होंने कहा नंदी की मौत को लेकर नगर परिषद कर्मचारी साफ तौर पर मदद के लिए मना करने लगे. जब चेयरमैन डॉक्टर यशपाल से बात की गई. तो उन्होंने कहा कि इन कामों को तो सुबह दिन में करवा लिया करो.
परवीन का कहना था कि अब नंदी की मौत का समय वह निश्चित कैसे करते एक और तो बिजली विभाग की गलती की सजा नंदी को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी. वहीं दूसरी ओर नगर परिषद अध्यक्ष का यह रवैया बिल्कुल भी ठीक नहीं है. उन्होंने बताया विधायक दीपक मंगला से भी गौ रक्षकों ने बात की. लेकिन कोई हल नहीं नि वही पार्षद हरजीत सिंह उर्फ बॉबी से जब मीडिया ने इस मामले की जानकारी ली तो वह भी निरुत्तर नजर आए. अब देखने वाली बात तो यह है कि जब जनप्रतिनिधि ही समाज से जुड़े कार्यों को करवाने में अक्षम है तो फिर आमजन को पार्षद चुनने का क्या लाभ होता है.
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