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भीमा कोरेगांव: सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र पुलिस का दावा- असहमति नहीं, ठोस सबूतों के कारण सामाजिक कार्यकर्ताओं को किया अरेस्ट

भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में 5 सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र पुलिस ने दावा किया है कि इन सभी को असहमति के नजरिए से गिरफ्तार नहीं किया गया है. माओवादियों के साथ संपर्क की ठोस जानकारी के बाद ही महाराष्ट्र पुलिस ने यह कदम उठाया है.

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bhima koregaon violence case: Maharashtra Police told Supreme Court arrest of five activists was based on cogent evidence
  • September 5, 2018 4:18 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार किए गए 5 सामाजिक कार्यकर्ताओं को लेकर महाराष्ट्र पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया है कि इन सभी को असहमति के नजरिए से गिरफ्तार नहीं किया गया है. पुलिस का दावा है कि माओवादियों के साथ संपर्क के बारे में ठोस सबूतों के आधार पर इनकी गिरफ्तारी की गई है. बता दें कि इतिहासकार रोमिला थापर और अन्य की याचिका पर कोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस को नोटिस जारी किया था. इस मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को होगी.

गौरतलब है कि कोर्ट में दायर याचिका में भीमा कोरेगांव हिंसा को लेकर की गई इन सभी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को लेकर चुनौती दी गई थी. ऐसे में राज्य पुलिस ने अपना हलफनामा इस नोटिस के जवाब में कोर्ट में दाखिल किया है. पुलिस का दावा है कि ये भी लोग हिंसा फैलाने और सुरक्षा बलों पर घात लगाकर हमले की योजना बना रहे थे. राज्य पुलिस का कहना है कि असहमति से गिरफ्तारी की धारना को लेकर पुलिस के पास पर्याप्त सबूत हैं.

महाराष्ट्र पुलिस ने साथ ही सवाल उठाया कि याचिकाकर्ता रोमिला थापर, प्रभात पटनायक, देविका जैन, कानून विशेषज्ञ माजा दारूवाला और समाजशास्त्री सतीश देशपांडे ने किस हैसियत से यह याचिका दाखिल की. पुलिस के अनुसार, इस मामले की जांच से याचिकाकर्ता पूरी तरह अजनबी हैं. आपको बता दें कि बीते 29 अगस्त में कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने 6 सितंबर तक इन कार्यकर्ताओं को उनके घरों में ही नजरबंदी के आदेश दिया था. इसके साथ ही साफ शब्दों में कहा कि असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व है.

साल 31 दिसंबर में एल्गार परिषद कार्यक्रम के बाद भीमा-कोरेगांव गांव में भड़की हिंसा की जांच करते हुए पुलिस ने बीते 28 अगस्त में अलग-अलग राज्यों में कई प्रमुख वामपंथी कार्यकर्ताओं के घर छापेमारी की थी. इसके साथ ही माओवादियों के संपर्क होने के शक में 5 लोगों को गिरफ्तार किया था. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इन गिरफ्तारियों के पूरी तरह विरोध किया था. छापेमारी के दौरान पुलिस ने तेलुगू कवि वरवरा राव, वेरनॉन गोन्साल्वेज, अरुण फरेरा, ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज और नागिरक अधिकारों के कार्यकर्ता गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया था.

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