पुणे. भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पुणे सेशंस कोर्ट ने मानवाधिकार कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबडे को रिहा करने का आदेश दिया है. आनंद को शनिवार सुबह पुणे पुलिस ने मुंबई एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया था, जिसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत आनंद को 11 फरवरी तक अंतरिम जमानत मिली हुई है और वे अग्रिम जमानत / गिरफ्तारी के लिए सक्षम प्राधिकारी से अपील कर सकते हैं. पिछले साल अगस्त में, पुणे पुलिस ने कई जगहों पर छापेमारी की थी, जिसमें आनंद का घर भी शामिल था. पुलिस ने वी 6 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के घर रेड डाली थी. वरावर राव, वेरनॉन गोनजाल्विस और अरुण परेरा फिलहाल पुलिस कस्टडी में हैं. शुक्रवार को कोर्ट ने आनंद की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी.
पुलिस ने उनकी जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि सबूत जुटाने के लिए जांच एजेंसी को अवसर देना जरूरी है. पुलिस ने कस्टडी में पूछताछ की इजाजत भी मांगी थी. इसके बाद तेलतुंबडे की याचिका खारिज कर दी गई. 14 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने यलगार परिषद-भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में तेलतुंबडे के खिलाफ पुणे पुलिस की एफआईआर खारिज करने से इनकार कर दिया था.
इसके बाद शीर्ष अदालत ने मामले में दखल देने से भी इनकार कर दिया. पुलिस ने कहा कि 31 दिसंबर 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में आयोजित यलगार परिषद में भड़काऊ भाषण दिए गए, जिसके बाद 1 जनवरी को भीमा कोरेगांव में हिंसा भड़क उठी. पुलिस ने कहा कि यलगार परिषद के पीछे माओवादियों का हाथ था. आनंद और अन्य माओवादी शुभचिंतकों के खिलाफ मामला इसी को लेकर चलाया गया था, जिन्हें ‘अर्बन नक्सल’ भी कहा गया.
Bhima Koregaon violence History: जानिए क्या है भीमा कोरेगांव का इतिहास, पिछले साल भी मचा था बवाल
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