नई दिल्लीः भीमा कोरेगांव की घटना पर देश के संविधान निर्माता डॉ. भीम राव अंबेडकर के पौत्र प्रकाश अंबेडकर का मानना है कि कुछ हिंदूवादी संगठन देश का माहौल बिगाड़ना चाहते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रकाश अंबेडकर ने कहा कि कुछ हिंदू संगठन इस काम में जुटे हैं और वह देश में माहौल खराब करके केंद्र सरकार का कंट्रोल अपने हाथ में लेना चाहते हैं. अपनी बात आगे रखते हुए प्रकाश अंबेडकर ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को चुनौती देते हुए कहा कि जेटली इस हिंसा में शामिल लोगों को चिन्हित करके दिखाए.
प्रकाश अंबेडकर ने कहा, ‘मैंने सरकार को कुछ लोगों के नाम दिए थे जो हिंसक संगठनों से जुड़े हुए हैं. मेरे महाराष्ट्र बंद के फैसले के बाद सरकार ने उनके खिलाफ केस दर्ज कराया.’ प्रकाश अंबेडकर ने ही सोमवार को हुई भीमा कोरेगांव में जातीय हिंसा के बाद बुधवार को महाराष्ट्र बंद बुलाया था. सरकार की आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के बाद उन्होंने महाराष्ट्र बंद का फैसला वापस ले लिया. पूर्व लोकसभा सांसद प्रकाश अंबेडकर ने दक्षिणपंथी संगठनों शिवजागर प्रतिष्ठान के अध्यक्ष संभाजी भिड़े और हिंदू जनजागृति समिति के अध्यक्ष मिलिंद एकबोटे को इस हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया.
प्रकाश अंबेडकर ने कहा, ‘1 जनवरी को दलित समाज के लोग 200वें शौर्य दिवस मनाने के लिए भीमा कोरेगांव पहुंचे थे. अचानक से हिंदूवादी संगठनों से जुड़े कुछ लोग वहां आते हैं और दलितों के साथ मारपीट करते हैं. फर्क क्या है? उन्होंने दलितों के साथ मारपीट क्यों की? ये हिंदूवादी संगठन ही देश की फिजा को बिगाड़ना चाहते हैं. लोग इसे बढ़ा-चढ़ाकर कहना मान सकते हैं लेकिन वह (हिंदूवादी संगठन) ऐसा ही करने की कोशिश कर रहें हैं. जैसे पाकिस्तान में हाफिज सईद ने वहां की सरकार पर अपना नियंत्रण बना रखा है, ठीक वैसे ही ये लोग भारत सरकार पर नियंत्रण करना चाहते हैं. उनका सिर्फ एक मकसद है, देश के माहौल को खराब करना.’
प्रकाश अंबेडकर ने बंद वापस बुलाने के मामले पर कहा कि अगर वह बंद वापस नहीं बुलाते तो राज्य में हालात और खराब हो सकते थे. प्रकाश अंबेडकर ने कहा, ‘मेरे हाथ और मेरे वश में जो कुछ भी था, उससे मैंने हालात को नियंत्रित करने की पूरी कोशिश की. घटना के बाद जब मंगलवार को दलित अपना दुख जता रहे थे तो एक बार फिर राज्य में उन पर स्थानीय हिंदूवादी संगठन द्वारा हमला किया जाता है. दर्जनों लोग फिर घायल हुए. अब कानून-व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के हाथों में है. महाराष्ट्र की स्थिति को अब वह ही नियंत्रित कर सकते हैं. भीमा कोरेगांव में सिर्फ दलित ही नहीं बल्कि अन्य पिछले वर्ग के लोग भी शौर्य दिवस मनाते हैं. वह शौर्य दिवस के दिन उन लोगों के प्रति अपना भाव प्रकट करने के लिए भीमा कोरेगांव आते हैं, जिन्होंने उनकी सामाजिक आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी.’
गौरतलब है कि 1 जनवरी, 1818 को पुणे स्थित कोरेगांव में भीमा नदी के पास उत्तर-पू्र्व में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई हुई थी. इस लड़ाई में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पेशवा की सेना को हराया था. दरअसल अंग्रेजों की तरफ 500 लड़ाके, जिनमें 450 महार सैनिक थे और दूसरी ओर पेशवा के 28 हजार सैनिक थे. मात्र 500 अंग्रेज और महार सैनिकों ने पेशवा की शक्तिशाली 28 हजार मराठा फौज को हरा दिया था. दलित नेता इस ब्रिटिश-महार सैनिकों की जीत का जश्न मनाते हैं. हालांकि, दक्षिणपंथी समूह दलितों द्वारा इस ब्रिटिश जीत का जश्न मनाए जाने का विरोध करते हैं. पुलिस ने बताया कि सोमवार को जब लोग गांव में युद्ध स्मारक की ओर बढ़ रहे थे तो शिरूर तहसील स्थित भीमा कोरेगांव में पथराव और तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं. इस घटना में शुरू हुए पथराव में कई लोग जख्मी हो गए. महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं.
महाराष्ट्र भीमा कोरेगांव हिंसाः जिग्नेश मेवाणी और उमर खालिद पर भड़काऊ भाषण के लिए FIR दर्ज
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