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SC/ST एक्ट में बदलाव से नाराज दलितों ने खून से लिखा पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को खत

उत्तर प्रदेश के कानपुर में भारतीय दलित पैंथर्स पार्टी के सदस्यों ने एससी-एसटी एक्ट में बदलाव के विरोध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपने खून से एक पत्र लिखा. पार्टी सदस्यों ने SC/ST एक्ट को अध्यादेश द्वारा कानून बनाकर फिर से पहले की स्थिति में बहाल करने की मांग की. इस दौरान उन्होंने दलित संगठनों द्वारा 2 अप्रैल को बुलाए गए भारत बंद के दौरान मारे गए लोगों को भी श्रद्धांजलि दी.

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Dalit party pens letter in blood to PM Modi President Kovind
  • April 5, 2018 7:04 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

कानपुरः उत्तर प्रदेश के कानपुर में भारतीय दलित पैंथर्स पार्टी के सदस्यों ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपने खून से एक पत्र लिखा. पत्र में उन्होंने एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए बदलाव पर नाराजगी जाहिर करते हुए इसे अध्यादेश लाकर फिर से पुराने स्वरूप में बहाल करने की मांग की. पार्टी के सदस्यों ने भारत बंद के दौरान हुई हिंसा में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि भी दी.

न्यूज एजेंसी ANI की खबर के अनुसार, भारतीय दलित पैंथर्स पार्टी के सदस्यों ने खून से लिखे पत्र में कहा, ‘महामहिम राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री जी भारत सरकार एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 को संसद में अध्यादेश द्वारा कानून बनाकर फिर से पहले की स्थिति में उक्त अधिनियम को बहाल किया जाए.’

बताते चलें कि बीते 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट में संशोधन करते हुए नई गाइडलाइन जारी की थी. कोर्ट ने निर्देश दिया कि इस कानून के तहत दायर किसी भी शिकायत पर तुरंत कोई गिरफ्तारी नहीं होगी. साथ ही अदालत ने इसमें अग्रिम जमानत का प्रावधान रखने के भी निर्देश दिए.

अदालत के निर्देश के बाद दलित संगठनों ने 2 अप्रैल को भारत बंद बुलाया था. इस दौरान देश के कई राज्यों में हुई हिंसा में करीब 10 लोग मारे गए और दर्जनों लोग घायल हुए. दलित संगठनों के विरोध को देखते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में पुनर्विचार याचिका दायर की.

शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान अपने पहले आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने केस की अगली सुनवाई 10 दिन बाद करने की बात कही. सुप्रीम कोर्ट से झटका लगने के बाद मोदी सरकार इसके सभी हल तलाशने में जुटी है. दूसरी ओर कांग्रेस और बसपा इस मामले में मोदी सरकार को दलित विरोधी बताने में कोई भी कसर नहीं छोड़ रही है.

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