नई दिल्ली, उत्तरी दिल्ली में स्थित भलस्वा लैंडफिल स्टेशन पर शुक्रवार को लगी आग कितनी खतरनाक है इसका अंदाज़ा हाल ही की रिपोर्ट्स से लगाया जा सकता है. पहली ही जहां दिल्ली जैसे शहर विश्व की सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से टॉप पर हैं वहाँ इस तरह की आग का लगना जिसका धुआं लोगों के […]
नई दिल्ली, उत्तरी दिल्ली में स्थित भलस्वा लैंडफिल स्टेशन पर शुक्रवार को लगी आग कितनी खतरनाक है इसका अंदाज़ा हाल ही की रिपोर्ट्स से लगाया जा सकता है. पहली ही जहां दिल्ली जैसे शहर विश्व की सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से टॉप पर हैं वहाँ इस तरह की आग का लगना जिसका धुआं लोगों के घरों में घुस रहा हो कितना खतरनाक है आइये आपको बताते हैं.
बीते शुक्रवार को भलस्वा लैंडफिल स्टेशन पर लैंडफिलिंग साइट के आसपास रहने वाले लोग अपना घर छोड़कर बाहर भागने लगे. आग लगने से यहां के निवासियों को सांस लेने में परेशानी होने लगी थी. इसके अलावा आंखों में जलन जैसी समस्या भी देखी गई. दमा के मरीजों को अस्पताल ले जाने की नौबत आ गई. इन सब समस्याओं से निबटने के लिए लोगों ने कोई स्थाई समाधान की आवाज उठाई. इन पीड़ित लोगों का कहना है कि इस आग से फैली बदबू उन्हें और भी बीमार बना रही है.
इससे पेट की बीमारी, सिर सर्द, सांस लेने में परेशानी और उल्टी दस्त जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है. बता दें, आस पास का यह स्थान उन तमाम लोगों से भरा है जो आर्थिक रूप से पिछड़े हैं. ऐसे में इन लोगों के सामने अच्छी और सस्ती स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव भी एक समस्या है. इन सभी पीड़ित लोगों का कहना है कि जितना वो लोग कमाते हैं सारा पैसा अस्पताल और डॉक्टरों को दे देते हैं. उम्र से पहले ही लोग बूढ़े दिखने लगते हैं.
शुक्रवार को आग ने जिस तरह इस समस्या की ओर सभी का ध्यान खींचा है वो आज की नहीं बल्कि 20 साल पुरानी है. भलस्वा लैंडफिलिंग स्टेशन के पास रहने वाले लोगों ने एक समाचार चैनल से बात करते हुए इस बात का खिलासा किया है. उनका कहना है कि वह 20 साल से इस इलाके में रह रहे हैं. फैली बदबू उन्हें रात में सोने नहीं देती है. अप्रैल से जून तक के महीने में ये और भी गहरा जाता है. बता दें, पीएम मोदी भी इस कूड़े के ढ़ेर को ख़त्म करने की बात कह चुके हैं हालांकी इस संबंध में अबतक बड़े स्तर पर कोई काम नहीं किया जा सका है.
यह समस्या केवल उत्तर दिल्ली के लोगों के साथ ही नहीं है. बल्कि पर्यावरणविद् विमलेन्दु झा के मुताबिक कि वायु प्रदूषण के चलते हर साल भारत में 15 लाख लोगों की मौत हो जाती है. रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोग वायु प्रदूषण के चलते अपने जावन के 9.5 साल खो देते हैं. दूसरी ओर लंग केयर फाउंडेशन का कहना है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण इतना खतरनाक है कि हर तीसरा बच्चा अस्थमा का शिकार हो रहा है.
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