नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के बाद से इस बात की चर्चा जारी है कि भाजपा का अगला अध्यक्ष कौन बनेगा। नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति पर शायद अब मंथन खत्म हो जाए क्योंकि अचानक से वसुंधरा राजे का नाम सामने आ रहा है। सियासी गलियारों में कहा जा रहा है कि आरएसएस ने वसुंधरा राजे […]
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के बाद से इस बात की चर्चा जारी है कि भाजपा का अगला अध्यक्ष कौन बनेगा। नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति पर शायद अब मंथन खत्म हो जाए क्योंकि अचानक से वसुंधरा राजे का नाम सामने आ रहा है। सियासी गलियारों में कहा जा रहा है कि आरएसएस ने वसुंधरा राजे को अगला अध्यक्ष बनाने के नाम का प्रस्ताव भेजा है। हालांकि इस नाम पर मोदी-शाह खुश नहीं है क्योंकि वसुंधरा से उनकी ख़ास बनती नहीं है।
बीजेपी सूत्रों की माने तो RSS की तरफ से संजय जोशी ने वसुंधरा राजे के नाम का प्रस्ताव भेज दिया है। अब तक इस पर नरेंद्र मोदी राजी नहीं हुए हैं। राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में सीएम के रेस में वसुंधरा राजे सबसे आगे थीं। हालांकि पार्टी ने उन्हें पूरी तरह से दरकिनार कर दिया और पहली बार ही विधायक बने भजनलाल शर्मा को सूबे की जिम्मेदारी सौंप दी। 2018 में अमित शाह गजेंद्र सिंह शेखावत को राजस्थान की जिम्मेदारी सौंपना चाह रहे थे लेकिन वसुंधरा ने वीटो करके उन्हें रोक दिया था। तभी से शाह से उनकी दूरी बढ़ गई थी।
अब सवाल ये उठ रहा है कि जब वसुंधरा और पार्टी आलाकमान के बीच इतनी दूरियां हैं तो फिर ऐसे में उन्हें बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष कैसे बनाया जा सकता है। दरअसल RSS पावर बैलेंस करने में लगी हुई है। लोकसभा चुनाव के बाद से कई बार ऐसा हुआ है कि आरएसएस और बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के बीच दूरियां साफ़ दिखाई दी है। मोहन भागवत ने कई बार खुलकर पीएम मोदी के बारे में इशारों में कहा कि किसी को खुद को भगवान नहीं मान लेना चाहिए। RSS वसुंधरा का नाम आगे करके भाजपा को यह दिखाना चाहती है कि अभी भी पार्टी पर संघ की पकड़ मजबूत है। आरएसएस एक ऐसा अध्यक्ष चाहता है जो हमेशा मोदी-शाह के इशारे पर न चले। क्योंकि जेपी नड्डा संघ से दूर मोदी-शाह के करीबी थे लेकिन वसुंधरा के साथ ऐसा नहीं है।
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