बेंगलुरु. कर्नाटक में विधानसभा चुनाव से पहले आई बाढ़ ने यहां के राजनीतिक दलों की चिंता बढ़ा दी है. भारी बारिश और बाढ़ के चलते जिस तरह से शहर की बुनियादी सुविधाओं की पोल खुली है, उससे सत्ताधारी दल के विधायक सबसे ज्यादा चिंता में हैं, उन्हें अपने वोट जाने का डर है. उन्हें डर […]
बेंगलुरु. कर्नाटक में विधानसभा चुनाव से पहले आई बाढ़ ने यहां के राजनीतिक दलों की चिंता बढ़ा दी है. भारी बारिश और बाढ़ के चलते जिस तरह से शहर की बुनियादी सुविधाओं की पोल खुली है, उससे सत्ताधारी दल के विधायक सबसे ज्यादा चिंता में हैं, उन्हें अपने वोट जाने का डर है. उन्हें डर है कि सात महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव और इस साल के अंत तक होने वाले बीबीएमपी के चुनावों कहीं उनके सियासी अरमानों पर कहीं बाढ़ पानी न फेर दे.
भारी बारिश और उसके बाद आई बाढ़ के चलते बेंगलुरू में बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है, इसके अलावा बारिश और बाढ़ से जनजीवन भी काफी अस्त-व्यस्त हुआ है. इतना ही नहीं, कुछ लोगों ने शिकायत की कि इससे ‘ब्रांड बेंगलुरु’ की छवि धूमिल हो रही है, इस बारिश और बाढ़ का सबसे बड़ा दंश बेंगलुरु में दबदबा बना चुकी आईटी इंडस्ट्री ने झेला है, शहर में इस कदर पानी भरा हुआ है कि लोगों को दफ्तर जाने के लिए ट्रैक्टर का सहारा लेना पड़ा. वहीं यह भी माना जा रहा है कि इस संकट के दौरान राजनीतिक वर्ग से निराश नागरिकों के एक समूह के बीच आक्रोश पनप रहा है.
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, सत्तारूढ़ भाजपा को बाढ़ से सबसे ज्यादा डर है, दरअसल उसे चिंता इसलिए है क्योंकि शहर के नगर निगम की निर्वाचित परिषद न होने पर इस संकट के लिए सीधे राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. वहीं बीबीएमपी क्षेत्र के 27 में से 15 विधायक भी भाजपा से ही हैं और इनमें से सात कैबिनेट में मंत्री भी हैं.
बहरहाल, कांग्रेस के पास इस स्थिति के लिए सत्तारूढ़ पार्टी पर दोष मढ़ने का अवसर है और संभवत: वह जन आक्रोश के केंद्र में नहीं है, लेकिन कांग्रेस के लिए भी स्थिति उतनी अच्छी नहीं है, बाढ़ में 11 विधायकों वाली देश की सबसे पुरानी पार्टी को अपने हिस्से की जिम्मेदारी उठानी पड़ सकती है, क्योंकि वह पिछले कुछ दशकों में बेंगलुरु तथा कर्नाटक में सत्ता में रही थी. साथ ही, शहर से कांग्रेस के कई विधायक ऐसे हैं, जो पहले भी विधायक तथा मंत्री रह चुके हैं तथा उनके खिलाफ भी जन आक्रोश देखने को मिल सकता है, ऐसे में बेंगलुरु में बारिश और बाढ़ ने राजनीतिक दलों की चिंता को निश्चित ही बढ़ा दिया है.