MeToo VS ManToo: कई सफेदपोशों और बड़ी हस्तियों को यौन उत्पीड़न के आरोप में लपेटने वाले मीटू कैंपेन की तर्ज पर मैन टू कैंपेन शुरू हुआ है. गैर सरकारी संगठन चिल्ड्रंस राइट्स इनिशिएटिव फॉर शेयर्ड पेरेंटिंग (क्रिस्प) ने 15 लोगों के ग्रुप के साथ इस कैंपेन की शुरूआत की है. इस कैंपेन के तहत पुरुष अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न का राज खोलेंगे.
बेंगलुरु. सोशल मीडिया पर शुरू हुए #MeToo कैंपेन के खुलासों ने बॉलीवुड में हलचल मचाकर रख दी. इस कैंपेन की तर्ज पर पुरुषों ने #ManToo अभियान की शुरूआत की है. इस अभियान के तहत पुरुष अपने साथ हुए शोषण की दास्तान सामने रखेंगे. बेंगलुरू के 15 लोगों के एक ग्रुप ने मैनटू कैंपेन की शरूआत की है जिनमें फ्रांस के एक पूर्व राजनयिक पास्कल मजूरियर भी शामिल हैं. इस राजनयिक को पिछले साल यौन उत्पीड़न के एक मामले में एक अदालत ने बरी किया था.
गैर सरकारी संगठन चिल्ड्रंस राइट्स इनिशिएटिव फॉर शेयर्ड पेरेंटिंग (क्रिस्प) ने शनिवार को मैनटू कैंपेन की शुरूआत की है. क्रिस्प के प्रेसिडेंट कुमार वी ने कहा कि यह ग्रुप लैंगिक तटस्थ कानून के लिए लड़ेगा. कुमार वी ने कहा कि मीटू एक अच्छा कैंपेन है लेकिन झूठे आरोप लगाकर किसी को भी फंसाने के लिए इस आंदोलन का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मीटू के तहत झूठे मामले दर्ज कराने वालों को सजा मिलनी चाहिए.
मीटू के तहत झूठे आरोप लगाने वालों को लेकर कुमार ने कहा कि इस आंदोलन का परिणाम लोगों के सम्मान को धूमिल करने के रूप में निकला है जो उन्होंने समाज में बड़ी मेहनत से अर्जित की है. कुमार वी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि मीटू में पीड़िताएं दशकों पहले हुए यौन उत्पीड़न की बात बता रही हैं लेकिन मैनटू में हाल की घटनाओं के उठाया जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर किसी का यौन उत्पीड़न हुआ है तो उन्हें सोशल मीडिया के बजाय कानूनी कार्रवाई का सहारा लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि मैनटू अभियान मीटू का जवाब देने के लिए नहीं है बल्कि उन पुरुषों के लिए है जो महिलाओं के अत्याचारों के खिलाफ नहीं बोल पाते.