रांची: भाजपा में शामिल होने की तैयारी कर रहे झारखंड के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन ने बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर हेमंत सोरेन सरकार पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने राज्य में आदिवासी अधिकारों की अनदेखी करने के लिए हेमंत सरकार की आलोचना की है। पूर्व सीएम चंपई सोरेन ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा […]
रांची: भाजपा में शामिल होने की तैयारी कर रहे झारखंड के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन ने बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर हेमंत सोरेन सरकार पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने राज्य में आदिवासी अधिकारों की अनदेखी करने के लिए हेमंत सरकार की आलोचना की है। पूर्व सीएम चंपई सोरेन ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि उनका भाजपा में शामिल होने का उद्देश्य यहीं है कि वह आदिवासी पहचान और अस्तित्व को बचा सके. यह पहचान बांग्लादेश से बढ़ती घुसपैठ के कारण खतरे में है।
जोहार साथियों,
पिछले हफ्ते (18 अगस्त) एक पत्र द्वारा झारखंड समेत पूरे देश की जनता के सामने अपनी बात रखी थी। उसके बाद, मैं लगातार झारखंड की जनता से मिल कर, उनकी राय जानने का प्रयास करता रहा। कोल्हान क्षेत्र की जनता हर कदम पर मेरे साथ खड़ी रही, और उन्होंने ही सन्यास लेने का विकल्प…
— Champai Soren (@ChampaiSoren) August 27, 2024
चंपई ने आगे कहा, “अगर इन घुसपैठियों को नहीं रोका गया तो संथाल परगना में हमारे समाज का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। ये लोग आदिवासियों और मूलवासियों को आर्थिक और सामाजिक नुकसान पहुंचा रहे हैं।” सोरेन ने पाकुड़, राजमहल जैसे इलाकों का जिक्र किया, जहां इन घुसपैठियों की संख्या आदिवासियों से ज्यादा हो गई हैं। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं रखा जा सकता। इसे सामाजिक आंदोलन बनाना होगा, ताकि आदिवासियों का अस्तित्व बचाया जा सके। इस मुद्दे पर सिर्फ भाजपा ही गंभीर है, जबकि अन्य पार्टियां वोट के लिए इसे नजरअंदाज कर रही हैं।”
झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके चंपई सोरेन ने पहले कहा था कि हेमंत सोरेन के जेल से लौटने के बाद उनका अपमान किया गया, जिससे वे काफी आहत हैं। उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री रहते हुए उनकी जानकारी के बिना कार्यक्रम रद्द कर दिए गए और उन्हें पार्टी की बैठकों से दूर रखा गया। इतने अपमान के बाद मुझे वैकल्पिक रास्ता तलाशने पर मजबूर होना पड़ा। उन्होंने कहा कि उनके पास तीन विकल्प थे: “राजनीति से संन्यास लेना, अपना अलग संगठन बनाना या फिर इस रास्ते पर कोई साथी मिले तो उसके साथ आगे बढ़ना।”
67 वर्षीय आदिवासी नेता चंपई सोरेन को 1990 के दशक में झारखंड राज्य के गठन के संघर्ष में उनके योगदान के लिए ‘झारखंड का टाइगर’ कहा जाता है। झारखंड का गठन 2000 में बिहार के दक्षिणी हिस्से से अलग करके किया गया था। चंपई सोरेन ने 2 फरवरी को झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला था। जब हेमंत सोरेन ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तारी से पहले इस्तीफा दे दिया था।
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