भुवनेश्वर: दो जून की शाम ओडिशा में हुए भयानक ट्रेन हादसे में कुल 288 लोगों की जान चली गई थी. इस हादसे में घायल होने वाले लोगों की संख्या हजार के पार थी जिनमें से कई गंभीर रूप से घायल हुए थे. हादसा इतना भीषण था कि इसमें जान गवाने वालों के शव तक रखने की जगह कम पड़ गई थी.
बालासोर ट्रेन हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के शवों को रखने की जगह ना होने से इन्हें पास ही के एक स्कूल में रखा गया है. लेकिन स्कूल को अस्थाई रूप से मुर्दाघर बनाए जाने पर अब छात्र और उनके परिजनों में नाराज़गी देखी जा रही है. इस हादसे के बाद से छात्र स्कूल नहीं आ रहे हैं जिसे देखते हुए सरकार ने स्कूल को ढहाने का फैसला लिया है.
ये पूरा मामला बालासोर के बहनागा गांव से सामने आया है जहां के एक स्कूल में बालासोर ट्रेन हादसे में मृत लोगों के शव रखे गए थे. स्कूल के अस्थाई मुर्दाघर बनने के बाद से छात्र वहाँ पढाई करने से कतरा रहे हैं. इसी कड़ी में शुक्रवार को ओडिशा सरकार ने स्कूल को तोड़कर दोबारा बनाने का निर्णय लिया है. डर की वजह से स्थानीय छात्र स्कूल नहीं आ पा रहे हैं. मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इसे देखते हुए स्कूल की इमारत ढहाने के निर्देश दिए हैं.
ट्रेन हादसे के 7 दिन बीत जाने के बाद आज दक्षिण पूर्वी रेलवे के CPRO आदित्य कुमार चौधरी ने बताया कि अब चारों लाइन फिट हैं. चारों पटरियों पर ट्रेन सुचारू रूप से चल रही हैं. उन्होंने कहा कि अब तक 661 पीड़ितों को मुआवजा दिया जा चुका है. सीपीआरओ ने आगे बताया कि अब तक कुल 22.66 करोड़ रुपए मुआवजे के रूप में वितरित किए गए हैं.
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