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बागेश्वर बाबा का बचपन बीता तंगी में, पैदल जाते थे पढ़ने

भोपाल: बागेश्वर बाबा वो शख्सियत जिसका विवादों और सुर्ख़ियों से गहरा नाता है। दरअसल, बागेश्वर धाम प्रमुख ने पिछले कई कार्यक्रमों में धीरेंद्र शास्त्री ने भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की बात कही थी। इसके अलावा राजस्थान में एक कार्यक्रम के दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने खुद को हनुमान जी का अवतार बताया। इसके बाद पूरे […]

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बागेश्वर बाबा का बचपन बीता तंगी में, पैदल जाते थे पढ़ने
  • May 5, 2023 11:05 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

भोपाल: बागेश्वर बाबा वो शख्सियत जिसका विवादों और सुर्ख़ियों से गहरा नाता है। दरअसल, बागेश्वर धाम प्रमुख ने पिछले कई कार्यक्रमों में धीरेंद्र शास्त्री ने भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की बात कही थी। इसके अलावा राजस्थान में एक कार्यक्रम के दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने खुद को हनुमान जी का अवतार बताया। इसके बाद पूरे देश में इनका विरोध भी शुरू हो गया। ऐसा कहा जाता है कि बागेश्वर बाबा पर बालाजी हनुमान की अपार कृपा नजर आती है। धीरेंद्र शास्त्री ने अपने बाबा से राम कथा का ज्ञान लिया था और उनसे ही दीक्षा प्राप्त की थी। ऐसे में धीरेंद्र शास्त्री का बचपन कैसा रहा, उनकी जाति क्या है और परिवार में कौन-कौन हैं? इन तमाम सवालों के जवाब जानते हैं :

 

➨ गरीबी में बीता बचपन

बागेश्वर धाम के प्रमुख पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री मध्य प्रदेश के छतपुर जिले के गढ़ा गांव से ताल्लुक रखते हैं। जो ब्राह्मण वर्ग के हैं। वह बागेश्वर धाम के प्रमुख हैं। दर्ज तिथि के अनुसार धीरेंद्र शास्त्री का जन्म 4 जुलाई 1996 को हुआ था। उनका बचपन गरीबी में बीता। यह बात उन्होंने खुद दरबार के दौरान कही थी। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा था कि गरीबी के कारण वह वृंदावन में नहीं पढ़ सके जहां वह हमेशा से जाना चाहते थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गांव में उनका एक कच्चा घर था जो बारिश में टपकता था।

 

➨ परिवार में पांच लोग हैं

धीरेंद्र शास्त्री के पिता का नाम करपाल गर्ग बताया जाता है व उनकी मां का नाम सरोज गर्ग है। खबरों की मानें तो उनका एक भाई शालिग्राम गर्ग और एक छोटी बहन भी है। वह अपने दादा भगवान दास गर्ग को अपना गुरु मानते थे जो निर्मोही अखाड़ा से जुड़े थे। बागेश्वर प्रमुख धीरेंद्र शास्त्री ने अपने दादा से ही दीक्षा प्राप्त की थी। धीरेंद्र शास्त्री ने अपने एक कोर्ट में बताया था कि कैसे वह पढ़ने के लिए 5 किमी पैदल चलकर गंज पहुंचे थे। यहां से उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई हासिल की। इसके बाद उन्होंने BA में प्रवेश लिया। हालांकि , उन्होंने केवल 9 साल की उम्र में बालाजी धाम की सेवा शुरू कर दी थी। इसके बाद उन्होंने दरबार लगाना शुरू कर दिया।

 

 

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