लखनऊ। 15 साल पुराने छजलैट प्रकरण में सपा नेता आजम खां और उनके बेटे सपा विधायक अब्दुल्ला आजम को अदालत ने दो साल की सजा सुनाई है। दोनों पर तीन-तीन हजार रुपए जुर्माना लगाया है। इस मामले में अन्य सात आरोपियों को साक्ष्यों के अभाव में दोष मुक्त कर दिया गया है। जानकारों के अनुसार […]
लखनऊ। 15 साल पुराने छजलैट प्रकरण में सपा नेता आजम खां और उनके बेटे सपा विधायक अब्दुल्ला आजम को अदालत ने दो साल की सजा सुनाई है। दोनों पर तीन-तीन हजार रुपए जुर्माना लगाया है। इस मामले में अन्य सात आरोपियों को साक्ष्यों के अभाव में दोष मुक्त कर दिया गया है। जानकारों के अनुसार दो साल की सजा के कारण स्वार सीट से अब्दुल्ला आजम की विधायकी जाती दिख रही है। इससे पहले रामपुर की अदालत से सजा सुनाए जाने के बाद नगर सीट से आजम खां की विधायकी जा चुकी है।
यह मामला छजलैट थाने में दो जनवरी 2008 को दर्ज हुआ था। जिसमें आजम खां, अब्दुल्ला आजम के अलावा मुरादाबाद देहात क्षेत्र के पूर्व विधायक हाजी इकराम कुरैशी, नूरपुर के पूर्व विधायक नईमुल हसन, नगीना के विधायक मनोस पारस, अमरोहा के विधायक महबूब अली सपा नेता राजेश यादव, डीपी यादव, राजकुमार प्रजापति पर लोगों को उकसाकर जाम लगवाने का आरोपी माना गया था। वर्ष 2019 से इस मामले की सुनवाई मुरादाबाद में एमपी एमएलए कोर्ट की मजिस्ट्रेट स्मृति गोस्वामी की अदालत में की जा रही थी।
मामले पर विशेष लोक अभियोजक मोहन लाल विश्नोई ने बताया कि अदालत ने पत्रावली पर मौजूद साक्ष्यों के आधार पर सोमवार को आजम खां और अब्दुल्ला आजम को दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई है। साथ ही दोनों पर तीन- तीन हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है।
2 जनवरी 2008 पूर्व मंत्री और रामपुर के पूर्व विधायक आजम खां अपने परिवार के साथ मुजफ्फरनगर में एक कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे। छजलैट थाने के सामने वाहन चेकिंग के दौरान आजम खां की गाड़ी पुलिस ने रुकवा ली थी। इसके विरोध में आजम खां और उनके बेटे स्वार-टांडा विधानसभा सीट से विधायक अब्दुल्ला आजम सड़क पर धरने पर बैठ गए थे।
इसकी सूचना मिलने पर आसपास के जनपदों से सपा कार्यकर्ता और पदाधिकारी भी मौके पर पहुंच गए थे। आरोप है कि आम जनता को उकसा कर सड़क जाम करते हुए बवाल किया था और सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न की थी।