..जब सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले को बताया महज ‘जमीनी विवाद’

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद केस की सुनवाई के दौरान साफ कर दिया कि यह मामला महज जमीनी विवाद का है, इसके अलावा कुछ और नहीं है. अब अयोध्या विवाद मामले की अगली सुनवाई 14 मार्च को की जाएगी. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की बेंच इस केस की सुनवाई कर रही है. चीफ जस्टिस के साथ-साथ इसमें जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं.

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..जब सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले को बताया महज ‘जमीनी विवाद’

Aanchal Pandey

  • February 8, 2018 4:59 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्लीः राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में अब सुप्रीम कोर्ट 14 मार्च को सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केस की सुनवाई के दौरान साफ कर दिया कि यह मामला महज जमीनी विवाद का है, इसके अलावा और कुछ नहीं है. यानी सर्वोच्च अदालत की ओर से यह साफ कर दिया गया है कि इस मसले को वह न तो राम जन्मभूमि के तौर पर देखता है और न ही बाबरी मस्जिद विवाद की तरह. बताते चलें कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की बेंच की तीन सदस्यीय बेंच मामले की सुनवाई कर रही है.

गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने कहा कि इस मामले में अभी कई किताबों का अनुवाद होना बाकी है, रामचरित मानस उनमें से एक है. मुस्लिम पक्ष ने कहा कि रामचरित मानस जैसे 10 ऐसी किताबें हैं जिनको हिन्दू पक्ष अपना आधार बना रहा है. ऐसे में इन किताबों के उन हिस्सों के अनुवाद जरूरी है क्योंकि यह हिंदी, संस्कृत और पाली भाषाओं में है. वहीं उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील तुषार मेहता ने कहा कि हमारे हिस्से के दस्तावेजों का अनुवाद हमनें कर दिया है और कोर्ट में दाखिल भी कर दिया है.

इस बीच फिल्म निर्माता श्याम बेनेगल, तीस्ता सीतलवाड़ जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि उनका पक्ष भी सुना जाए. कोर्ट ने इससे इनकार करते हुए कहा कि अभी फिलहाल किसी भी ऐसे पक्ष को जो मुख्य मामले से जुड़े नहीं है, नहीं सुना जाएगा. कोर्ट ने कहा कि भविष्य में अगर इसकी जरूरत महसूस होगी तो उनका पक्ष जरूर सुना जाएगा. दूसरी ओर हिंदू संगठनों की तरफ से मांग कि गई है कि इस मामले की सुनवाई रोजाना की जाए, जिसका समर्थन मुस्लिम संगठनों ने भी किया है. हालांकि अदालत ने कहा कि यह अब 14 मार्च को ही तय किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस मामले से संबंधित जो कागजी कार्रवाई अभी पूरी नहीं हुई है उसे दो हफ्ते में पूरा किया जाए.

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