नई दिल्ली. नरेंद्र मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर यूपी के अयोध्या में विवादित जमीन को छोड़कर उसके आसपास की जमीन लगी यथास्थिति को हटाने की मांग की है. मोदी सरकार ने अदालत में अर्जी देकर कहा है कि विवादित जमीन को छोड़कर बची हुई जमीन रामजन्मभूमि न्यास को लौटा दी जाए. दरअसल कुल 67 एकड़ जमीन में से सिर्फ 0.313 एकड़ जमीन पर ही विवाद है. ऐसे में सरकार की मांग है कि बची हुई जमीन रामजन्मभूमि न्यास को वापस की जाए. मोदी सरकार के इस एक्शन को लेकर सोशल मीडिया पर जबरदस्त प्रतिक्रियाएं देखने को मिली है. कई यूजर्स ने इसे पीएम मोदी का मास्टरस्ट्रोक भी बताया है.
मोदी सरकार के इस एक्शन पर एक ट्विटर यूजर कहते हैं ”अभी तो सरकार ने कोर्ट से जमीन मांगी है और कइयों के पैरों तले जमीन खिसक गई है. मिल गई तो क्या होगा?” वहीं एक यूजर ने इस कदम को मास्टरस्ट्रोक बताया है और साथ ही कहा है कि अब कोई भी व्यक्ति या दल इसके खिलाफ जाता है तो वह राम मंदिर के भी खिलाफ होगा. वहीं यूजर कुमाल कुणाल का कहना है कि “अच्छा, अतिउत्साही कह रहे हैं कि मोदी जी ने मंदिर बनाने का रास्ता साफ कर दिया, फिर जब मंदिर वहां बनाना ही नहीं था तो बाबरी मस्जिद क्यों गिराई? बराबर में मंदिर तो पहले भी बन सकता था. मंदिर भी होता, मस्जिद भी, और प्रेम-भाईचारे का ताना बाना भी.
यूजर प्रितीश इस बारे में ट्विटर पर लिखते हैं ”मोदीजी ने आज पुनः एक साहसिक कदम उठाते हुए मंदिर निर्माण के लिए 67 एकर जमीन देने के लिए कोर्ट में अर्जी सौपी है. अब कोर्ट को भी जनभावना का आदर करते हुए मंदिर निर्माण के लिए दी गई जमीन पर निर्माण कार्य शुरू करने की अनुमति देनी चाहिए.”
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