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“पाकिस्तानी धर्मगुरु कभी भी मेरी जान ले सकते हैं”- तस्लीमा नसरीन का दावा

नई दिल्ली, लेखिका तसलीमा नसरीन ने बुधवार को दावा किया कि एक पाकिस्तानी धार्मिक नेता अल्लामा खादिम हुसैन रिजवी उन्हें जान से मारना चाहता था. तसलीमा ने कहा कि रिजवी ने पाकिस्तानी चरमपंथियों को उन्हें मारने के लिए कहा था. बांग्लादेश में पैदा हुईं लेखिका तसलीमा नसरीन के खिलाफ कथित इस्लाम विरोधी टिप्पणियों के लिए […]

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“पाकिस्तानी धर्मगुरु कभी भी मेरी जान ले सकते हैं”- तस्लीमा नसरीन का दावा
  • August 17, 2022 9:46 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली, लेखिका तसलीमा नसरीन ने बुधवार को दावा किया कि एक पाकिस्तानी धार्मिक नेता अल्लामा खादिम हुसैन रिजवी उन्हें जान से मारना चाहता था. तसलीमा ने कहा कि रिजवी ने पाकिस्तानी चरमपंथियों को उन्हें मारने के लिए कहा था. बांग्लादेश में पैदा हुईं लेखिका तसलीमा नसरीन के खिलाफ कथित इस्लाम विरोधी टिप्पणियों के लिए अतीत में कई फतवे जारी हो चुके हैं, वहीं अब उन्होंने दावा किया है कि पाकिस्तानी धर्मगुरु उन्हें जान से मारना चाहते हैं.

तस्लीमा ने क्या कहा

तसलीमा नसरीन ने ट्विटर पर धर्मगुरु का एक वीडियो भी शेयर करते हुए लिखा है, “यह धर्मगुरु मुझे मारना चाहता था और उसने इस्लाम के नाम पर लाखों पाकिस्तानी चरमपंथियों को मुझे मारने के लिए प्रेरित भी किया है, यह दावा कर रहा है कि इसने मेरी किताब पढ़ी है, लेकिन मैं निश्चित रूप से कह सकती हूं कि इसने मेरी किताब नहीं पढ़ी है और यह झूठ बोल रहा था.”

क्यों जारी हुआ था फतवा

1990 के दशक की शुरुआत में तसलीमा अपने निबंधों और उपन्यासों के कारण विश्व का ध्यान अपनी ओर खींचा था, उनकी लेखनी को काफी सराहा जाता था. अयोध्या बाबरी विध्वंस के बाद तसलीमा को 1993 में उनके चर्चित उपन्यास ‘लज्जा’ के प्रकाशन के बाद बांग्लादेश से निष्कासित कर दिया गया थे, दरअसल ‘लज्जा’ की कहानी एक हिंदू परिवार पर केंद्रित थी जो कट्टरपंथी हिंसा के बाद देश छोड़ने को मजबूर हो गया था. उनके कई और उपन्यास भी प्रकाशित हुए जिसमें उन्होंने इस्लाम को लेकर अपना नजरिया बताया है. उनके लेखन को जहाँ एक वर्ग ने सराहा तो वहीं, दूसरा वर्ग इस लेखनी से नाराज़ हो गया. उनके खिलाफ भी बांग्लादेश में फतवा जारी कर दिया गया था, वह तब से भारत के कोलकाता में निर्वासित जीवन बिता रही हैं. उनपर भी हमले की कई कोशिशें की गई हैं, हालांकि कोई भी गंभीर हमला नहीं था. वह अब भी ट्विटर के जरिए अपना नजरिया सामने रखती हैं, इसी कड़ी में रूश्दी पर हमले के बाद उन्होंने प्रतिक्रिया जताते हुए इसे बेहद भयावह करार दिया था.

 

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