लखनऊ। उमेश पाल और दो सरकारी गनर की हत्या के केस में पुलिस की ओर से दाखिल चार्जशीट में कई बड़े खुलासे हुए हैं। पुलिस को दिए गए बयान में माफिया अतीक अहमद ने कई अहम खुलासे किए थे। अतीक अहमद ने पुलिस को बताया था कि उसके संबंध पाकिस्तान के आईएसआई से हैं। उसने […]
लखनऊ। उमेश पाल और दो सरकारी गनर की हत्या के केस में पुलिस की ओर से दाखिल चार्जशीट में कई बड़े खुलासे हुए हैं। पुलिस को दिए गए बयान में माफिया अतीक अहमद ने कई अहम खुलासे किए थे। अतीक अहमद ने पुलिस को बताया था कि उसके संबंध पाकिस्तान के आईएसआई से हैं। उसने बताया था कि पाकिस्तान से उसके गिरोह को हथियार मिलते हैं।
चार्जशीट में खुलासा हुआ है कि माफिया अतीक अहमद ने उमेश पाल शूटआउट केस में पूरे परिवार के शामिल होने की बात भी कबूल की थी। पुलिस द्वारा बयान दर्ज करने के बाद 15 अप्रैल को माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ की पुलिस कस्टडी में काल्विन अस्पताल के बाहर हत्या कर दी गई थी। अदालत में दाखिल चार्जशीट के अनुसार अतीक ने पुलिस को कुछ अहम जानकारियां दी थी।
प्रयागराज और कौशांबी जिले या आसपास के क्षेत्र में विवादित जमीन खरीदना और उसको खाली कराना फिर उसको महंगे दामों में बेचना ही अतीक का मुख्य पेशा था। इस कारोबार में दबदबे की आवश्कता होती थी और इसके लिए 100 से 200 लोगों की भी जरूरत थी जो अतीक के लिए एक इशारे पर किसी की भी जान ले सकते थे। अतीक ने अपने बयान में बताया था कि चांद मियां नाम के एक गुंडे ने मुझे दबाने का प्रयास किया, लेकिन मैं बिल्कुल नहीं दबा और अपने नियम के मुताबिक उसे अपने रास्ते से हटाने के लिए उसका कत्ल भी कर दिया।
अतीक ने पुलिस को बताया था कि 2004 में मेरे भाई अशरफ के खिलाफ बसपा के राजू पाल ने चुनाव लड़ा और जीत गया। अतीक ने बताया कि यह हार बर्दाश्त नहीं हुई इसी वजह से राजू पाल को दिन दहाड़े सड़कों पर दौड़ा-दौड़ा कर गोलियों से छलनी कर दिया। अतीक ने पुलिस को बताया था कि राजू पाल हत्याकांड का चश्मदीद गवाह उमेश पाल था, उसे कई बार समझाया गया कि रास्ते से हट जाए, लेकिन उमेश ने मेरी बात नहीं सुनी और अंत में उमेश पाल को भी रास्ते से हटाना पड़ा।