Arvind Kejriwal LG Power War Verdict: दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार और एलजी अनिल बैजल के पावर वॉर पर गुरुवार को आएगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला

Arvind Kejriwal LG Power War Verdict: दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार और एलजी अनिल बैजल के पावर वॉर की लड़ाई में अफसरों पर नियंत्रण और ACB के अधिकार क्षेत्र पर दाखिल की गई याचिकाओं पर गुरुवार 14 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा. यह फैसला जस्टिस सीकरी और अशोक भूषण की बेंच सुनाएगी.

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Arvind Kejriwal LG Power War Verdict: दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार और एलजी अनिल बैजल के पावर वॉर पर गुरुवार को आएगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला

Aanchal Pandey

  • February 13, 2019 7:04 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. 14 फरवरी गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार और एलजी अनिल बैजल के पावर वॉर की लड़ाई में दाखिल की गई याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाएगा. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट अफसरों ट्रांस्फर- पोस्टिंग और ACB के अधिकार क्षेत्र पर अपना फैसला देगा. जस्टिस सीकरी और अशोक भूषण की बेंच इस मामले में निर्णय सुनाएगी. 1 नवंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था. फिलहाल दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार उप राज्यपाल के पास है.

1. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार ने याचिका दायर कर दिल्ली में अधिकारियों के तबादले का अधिकार केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार के बजाय दिल्ली सरकार के पास होने की मांग की थी.

2. इसके साथ ही दूसरे एक याचिका दायर कर दिल्ली की एंटी करपशन ब्रांच के अधिकार क्षेत्र का दायरा बढ़ाकर इसमें केन्द्र सरकार से जुड़े मसलों पर भी कार्रवाई करने के अधिकार की मांग की थी.

3. ये सभी याचिकाएं दिल्ली हाई कोर्ट के उन फैसलों के खिलाफ दाखिल की गईं थी जिनमें हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार की इन मांगों को ठुकराते हुए फैसला केन्द्र सरकार के हक में सुनाया था.

4. यह विवाद केंद्र सरकार की ओर से 21 मई 2015 को जारी एक नोटिफिकेशन के बाद शुरू हुआ. दरअसल उस समय गृह मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी करते हुए एलजी के जूरिडिक्शन के तहत सर्विस मैटर, पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और जमीन से संबंधित मामले को रखा गया है. इनमें ब्यूरेक्रेट की सर्विस से संबंधित मामले भी शामिल हैं.

5. वहीं केंद्र सरकारी की ओर से 23 जुलाई 2015 को जारी नोटिफिकेशन को भी चुनौती दी गई है. इस नोटिफिकेशन के तहत दिल्ली सरकार के कार्यकारिणी शक्ति को लिमिट किया गया है और दिल्ली सरकार के एंटी करप्शन ब्रांच का अधिकार क्षेत्र दिल्ली सरकार के अधिकारियों तक सीमित किया गया था. इस जांच के दायरे से केंद्र सरकार के अधिकारियों को बाहर कर दिया गया था.

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