अमरावती: रंगों का त्योहार होली हिन्दू धर्म में धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन आंध्र प्रदेश के एक गांव में इस उत्सव का एक अनूठा रूप भी देखने को मिलता है, यहां होली के पारंपरिक रिवाजों के तहत पुरुष गर्व से साड़ियां पहनते हैं और अपने गहनों को सजाते हैं। अनोखी होली का जश्न होली […]
अमरावती: रंगों का त्योहार होली हिन्दू धर्म में धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन आंध्र प्रदेश के एक गांव में इस उत्सव का एक अनूठा रूप भी देखने को मिलता है, यहां होली के पारंपरिक रिवाजों के तहत पुरुष गर्व से साड़ियां पहनते हैं और अपने गहनों को सजाते हैं।
होली रंगों का त्योहार है जो आंध्र प्रदेश का यह गांव उत्सव के एक और रंगीन तरीके को जोड़ता है. इस गांव के पुरुष होली के पारंपरिक रिवाजों के तहत अपने सामान्य कपड़ों को छोड़कर रंगीन साड़ियां और गहने पहनते हैं, जिससे रंगीन अंदाज में गांव दिखाई देता है, लेकिन यह परंपरा इस गांव में क्यों मनाई जाती है?
हिंदू रीति-रिवाजों में अधिकतर पुजारी पुरुष होते हैं, पारंपरिक अनुष्ठान ज्यादातर महिलाओं द्वारा किए जाते हैं. इन पारंपरिक परंपराओं को तोड़ते हुए आंध्र प्रदेश के एक खास गांव के कुछ पुरुष देवी की पूजा करने के लिए होली के मौके पर खूबसूरत साड़ियां और गहने पहनते हैं।
आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले के संथेकुडलूर गांव में होली एक अनूठा रूप धारण कर लेती है, यहां पुरुष अपने सामान्य वस्त्र त्याग कर दो दिवसीय उत्सव के लिए साड़ियों और गहने पहनने की परंपरा को अपनाते हैं जो पीढ़ियों पुराना रिवाज है. यह हमारी संस्कृति में पारंपरिक प्रथाओं और आस्था की गहरी जड़ों का प्रतीक माना जाता है।
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