अमरोहा: लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो चुकी है। लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण में उत्तर प्रदेश की आठ सीटों पर 26 अप्रैल को मतदान होना है। जिसमें अमरोहा की लोकसभा सीट भी शामिल है। अमरोहा जिला अपने रसीले आम और ढ़ोलक के लिए जाना जाता है। वहीं भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी भी अमरोहा जिले से ही आते हैं।
अगर राजनीति की बात करें तो इस सीट पर कभी भी किसी पार्टी का दबदबा नहीं रहा है। भाजपा ने फिर से कंवर सिंह तंवर पर भरोसा जताया है, जिन्होंने 2014 चुनाव में भाजपा के टिकट पर यहां से चुनाव जीता था। तो इंडिया गठबंधन की तरफ से दानिश अली को उम्मीदवार बनाया गया है। ऐसे में आइए अमरोहा सीट का आंकलन करते है और जानते है इस सीट का इतिहास, जातीय समीकरण और अन्य चीजों के बारे में।
Kanwar Singh Tanwar
Danish Ali
Mujahid Hussain
लोकसभा चुनाव 2019 के समय बसपा और सपा का गठबंधन होने की वजह से यह सीट बसपा के खाते में गई थी। बसपा से कुंवर दानिश अली को चुनावी मैदान में उतारा गया था और उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के कंवर सिंह तंवर को शिकस्त दी। दानिश अली को 601,082 वोट मिले तो कंवर सिंह तंवर के खाते में 537,834 वोट आए। यानी दानिश ने 63,248 वोटों के अंतर से चुनाव जीत लिया।
2019 के चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी की स्थिति बेहद खराब रही थी। कांग्रेस के उम्मीदवार सचिन चौधरी को 12,510 वोट मिले थे और वह तीसरे नंबर पर रहे।
अमरोहा लोकसभा सीट के अंदर 4 विधानसभा सीटें आती हैं जिसमें धनौरा, नौगावां सादात, अमरोहा और हसनपुर शामिल हैं। 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में इन 4 सीटों में से 2 सीटों पर भाजपा तो 2 सीटों पर सपा को जीत मिली थी।
Amroha seat
अमरोहा की लोकसभा सीट पर वोटरों ने किसी भी दल को निराश नहीं किया है। इसके अलावा यहां से निर्दलीय उम्मीदवारो को भी मौका मिला है। 1952 से 1962 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा था। जहां हिफ्जुर रहमान ने लगातार तीन बार जीत दर्ज की थी। फिर 1967 से 1971 तक इशक संभाली ने सीपीआई के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए यहां से जीत दर्ज की। फिर इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में जनता पार्टी से चंद्रपाल सिंह ने चुनाव जीता। वह 1977 और 1980 तक इस सीट से सांसद रहे। इसके बाद यहां से साल 1984 में रामपाल सिंह ने कांग्रेस की तरफ से चुनाव लड़ा। यह आखिरी बार था जब कांग्रेस का कोई प्रत्याशी यहां से चुनाव जीता हो। इसके बाद से अब तक कांग्रेस को अपनी जीत का इंतजार है।
1989 के चुनाव में हर गोविंद सिंह(जनता दल) विजयी हुए। 1991 में बीजेपी ने यहां अपनी पहली जीत दर्ज की और चेतन चौहान ने चुनाव जीता। 1996 में सपा ने यह सीट निकाली, जहां प्रताप सिंह ने बाजी मारी। 1998 में फिर बीजेपी के चेतन चौहान ने चुनाव जीता। फिर 1999 में राशिद अल्वी ने बसपा के टिकट पर चुनाव जीता। 2004 में निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए हरीश नागपाल विजयी हुए। 2009 में रालोद के देवेन्द्र नागपाल ने यहां से बाजी मारी। फिर 2014 में कंवर सिंह तंवर ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और इस सीट को जीता। तब किसान नेता राकेश टिकैत ने भी रालोद के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन वह चौथे पायदान पर रहे थे। फिर 2019 में यह सीट बसपा के खाते में चली गई।
amroha caste analysis
2011 की जनगणना के मुताबिक, अमरोहा जिले की कुल आबादी 1,840,221 है। जिसमें हिंदू धर्म से संबध रखने वाले 58.44% लोग रहते हैं तो मुस्लिम समाज की आबादी भी 41 फीसदी है। जातीय समीकरण की बात करें तो इस सीट पर दलित, सैनी और जाट मतदाता भी अधिक संख्या में हैं।
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