Amritsar Train Accident: रावण पुतला दहन के पटाखों की शोर में ट्रेन की सीटी खोई और खो गई 60 से ज्यादा जिंदगी

Amritsar Train Accident: अमृतसर में रावण के पुतले का दहन कर बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न जश्न मना रहे लोगों को पटाखों के तेज शोर के बीच रफ्तार से आ रही जालंधर एक्सप्रेस की ना आवाज सुनाई दी और ना सीटी. जिसके बाद तेज रफ्तार ट्रेन 68 से ज्यादा लोगों काटते हुए चली गई और वहां जश्न का माहौल मातम में तब्दील हो गया.

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Amritsar Train Accident: रावण पुतला दहन के पटाखों की शोर में ट्रेन की सीटी खोई और खो गई 60 से ज्यादा जिंदगी

Aanchal Pandey

  • October 19, 2018 11:05 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

अमृतसर. Amritsar Train Accident: अमृतसर में दशहरा पर असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न रावण का पुतला जलाकर मना रहे 68 से ज्यादा लोगों की ट्रेन से कटने से मौत के मामले की एक स्याह सच्चाई ये है कि रावण के पुतले को जलाने के बाद पटाखों के शोर में पटरियों पर जुटे और गिरते पुतले से बचने के लिए पटरियों की तरफ भागे लोगों को ना तो तेजी से आ रहे जालंधर एक्सप्रेस ट्रेन की आवाज सुनाई दी और ना उसकी सीटी. एक-एक पुतले में ठूंसे गए सैकड़ों बम-पटाखे फटने लगे और उससे बचने के लिए लोग पटरियों की तरफ भागे और कुछ तो पहले से ही वहीं खड़े होकर दहन देख रहे थे. पटाखों की आवाज इतनी तेज थी कि ट्रेन की आवाज और उसकी सीटी की आवाज पटाखों के शोर में खो गई और उसके साथ ही गुजरती ट्रेन की चपेट में आई 60 से ज्यादा जिंदगी खो गईं.

अमृतसर रेल हादसे में जो हुआ, उसमें लापरवाही कई स्तर पर हुई. एक आरोप तो ये लगा है कि इसका आयोजन कांग्रेस के नेताओं ने किया था जिसमें नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू भी शामिल हुए थीं लेकिन इस आयोजन के लिए प्रशासन की इजाजत नहीं ली गई थी. दूसरी लापरवाही ये कि अगर इजाजत नहीं ली गई थी तो प्रशासन ने इस आयोजन को रोका क्यों नहीं. तीसरी लापरवाही जोड़ा रेलवे फाटक पर तैनात कर्मचारी ने आयोजकों को पटरी किनारे पुतला दहन करने से रोका क्यों नहीं और उसके लिए रेलवे के वरिष्ठ और सक्षम अधिकारियों को क्यों नहीं अलर्ट किया गया. क्योंकि खबर तो यही है कि ट्रेन को ग्रीन सिग्नल मिला हुआ था और ट्रैक पर वो अपनी रफ्तार से बढ़ रही थी बगैर ये जाने कि उस ट्रैक पर सैकड़ों लोग रावण दहन देख रहे हैं जो उसके गुजरने के वक्त पटाखों के शोर में ना उसके आने की आहट पा सकेंगे और ना उसकी सीटी सुन सकेंगे.

देश में रेल हादसे होते रहते हैं. कभी रेलवे के खुले फाटक पर यात्रियों से भरी ट्रैक्टर, बस, जीप ट्रेन से टकराती है तो कभी ट्रेन खुद ही पलट जाती है. दोनों ही हालत में मारे जाते हैं वो जिनका दोनों ही हालात में कोई दोष नहीं होता. स्कूली बच्चों से भरी बस ड्राइवर पटरी पर बिना देखे चढ़ाता है और गोद सूनी हो जाती है उन मां-बाप की जिन्होंने बड़े जतन से बच्चे को पैदा किया और पाला. कोई बस ड्राइवर बिना देखे पटरी पर गाड़ी ले जाता है और मारा जाता है वो आदमी जो परिवार के लिए कहीं से नौकरी-कमाई करके घर लौट रहा होता है या कमाने बाहर जा रहा होता है. हादसे कैसे भी हों, मरने वाले की उम्र कुछ भी हो, वो मर्द हो या औरत, किसी परिवार में उसकी भरपाई ना कोई मुआवजा कर सकता है, ना किसी दोषी को दी गई सजा. क्योंकि जिसका घर उजड़ा या जिसके घर का कोई गया, वो चला गया, यही आखिरी सच है.

Amritsar Train Accident: अमृतसर का दशहरा रावण दहन जश्न मातम में बदला, 5 सेकेंड में 60 से ज्यादा लोगों को काटती और मारती चली गई ट्रेन

Amritsar Train Accident: लोगों का आरोप- कांग्रेस ने बिना परमिशन रावण दहन आयोजन किया, नवजोत कौर सिद्धू हादसे के दौरान भाषण दे रही थीं और बाद में भागीं

 

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