अमृतसर. Amritsar Train Accident: पंजाब के अमृतसर में दशहरे पर रेलवे पटरी के किनारे आयोजित रावण दहन कार्यक्रम में पुतला दहन का जश्न मात्र 5 सेकेंड से भी कम समय में मातम में बदल गया जब पटरी पर खड़ा होकर रावण दहन देख रहे सैकड़ों लोगों की भीड़ के बीच से दनदनाती ट्रेन 60 से ज्यादा लोगों को काटती और मारती चली गई. मरने वालों की संख्या और ज्यादा भी हो सकती है क्योंकि पटरियों पर करीब 100 मीटर से ज्यादा दूर तक कटे शव बिखरे हैं और पुलिस भी इस वक्त ये कह रही है कि मरने वालों की संख्या ज्यादा भी हो सकती है.
एक उत्सव पल भर में कैसे मातम और गम का सबब बन जाता है, अमृतसर का ये रेल हादसा वही है. अंधेरे में दशहरा का मेला देखने, मेले में मिठाई खाने घरों से बाहर निकले लोग रावण दहन का आनंद ले रहे थे और उनमें से बहुत सारों को क्या पता था कि कुछ सेकेंड बाद उनके शरीर के टुकड़े पटरियों पर बिखर जाएंगे और कटा-टूटा बेजान शरीर परिवार के हिस्से रह जाएगा. मरने वालों में कई लोग एक ही परिवार के भी हो सकते हैं और ये भी हो सकता है कि किसी का पूरा परिवार ही ट्रेन की चपेट में आ गया हो क्योंकि परिवार के लोग एक ही जगह पर जमा रहे होंगे. जो लोग घर से ये कहकर निकले होंगे कि मिठाई खाकर आता हूं या लेकर आता हूं, उनके परिवार को अब पोस्टमार्टम हाउस के बाहर अपने आदमी के शव का इंतजार होगा. ये एक त्रासदी है कि घर से निकला अच्छा-भला आदमी, त्योहार मनाने निकला आदमी, काल का शिकार बन जाता है.
रावण दहन का यह कार्यक्रम जोड़ा रेलवे फाटक के पास पटरियों के किनारे रखा गया था और बताया जाता है कि कई साल से वहां इसका आयोजन हो रहा था. हादसे में आयोजकों की लापरवाही सबसे बड़ी है जिन्होंने पटरी के किनारे इसका आयोजन किया लेकिन ये गारंटी करना भूल गए कि लोग पटरियों पर ना रहें जो असल में लोगों के खड़े होने के लिए नहीं बल्कि ट्रेनों के चलने के लिए बनाई गई हैं. आयोजकों की दूसरी लापरवाही ये रही कि उन्होंने ट्रेन के आने-जाने के समय का ध्यान नहीं रखा और उसके मद्देनजर बार-बार लोगों को ये एनाउंस करके नहीं बताया कि ट्रेन आने वाली है या आ रही है इसलिए पटरियों से बिल्कुल हट जाएं. फाटक पर तैनात रेल कर्मचारी की लापरवाही बहुत छोटी है क्योंकि पुतला दहन के दौरान पटाखों की आवाज में जब ट्रेन की सीटी और आवाज तक लोगों को सुनाई ना दी तो उस बेचारे की चेतावनी किसने सुनी होगी और कैसे सुनी होगी, ये समझा जा सकता है.
अमृतसर का दशहरा मातम में बदल चुका है. नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू जो इस आयोजन में गई थीं उन पर हादसे के दौरान भाषण देने और उसके बाद भागने का आरोप लगा है जिसके जवाब में उन्होंने कहा है कि वो 15 मिनट पहले निकल चुकी थीं. घटना की खबर उन्हें फोन पर मिली और तबसे वो अस्पताल में घायलों के इलाज करवाने में लगी हैं. सिद्धू खुद बेंगलुरू में हैं और सुबह 7 बजे तक अमृतसर पहुंच रहे हैं. सिद्धू ने कहा है कि जान की कोई कीमत नहीं है और कोई मुआवजा किसी परिवार के घर में खाली हुई जगह को नहीं भर सकता. पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने मृतकों के परिजनों को 5 लाख के मुआवजा का ऐलान किया है और कहा है कि घायलों का इलाज सरकारी अस्पताल में चल रहा हो या प्राइवेट, उसका खर्च सरकार उठाएगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, आप संयोजक अरविंद केजरीवाल समेत तमाम नेताओं ने अमृतसर हादसे पर दुख जताया है. रेल मंत्री पीयूष गोयल अमेरिका का दौरा छोड़कर तुरंत भारत लौट रहे हैं. रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा अमृतसर रवाना हो चुके हैं. रेलवे ने कहा है कि उसका राहत और बचाव दल घटनास्थल पर पहुंच चुका है और उसने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है.
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