नई दिल्ली: खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह अब पुलिस हिरासत में है और अमृतपाल 18 मार्च से फरार चल रहा था। अमृतपाल खुद को जनरल सिंह भिंडरांवाले के जैसा मानता था। अमृतपाल भी उसी ढर्रे पर चल रहा था। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो, अमृतपाल सिंह को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत गिरफ्तार किया गया […]
नई दिल्ली: खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह अब पुलिस हिरासत में है और अमृतपाल 18 मार्च से फरार चल रहा था। अमृतपाल खुद को जनरल सिंह भिंडरांवाले के जैसा मानता था। अमृतपाल भी उसी ढर्रे पर चल रहा था। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो, अमृतपाल सिंह को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत गिरफ्तार किया गया था। अमृतपाल सिंह व उसके साथियों पर रासुका समेत कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। दो वर्गों के बीच दुश्मनी फैलाने, हत्या का प्रयास करने, पुलिस कर्मियों पर हमला करने और सरकारी काम में बाधा डालने जैसे कई आपराधिक मामले दर्ज हैं।
अमृतपाल सिंह के खिलाफ अजनाला थाने में उनके और उनके समर्थकों द्वारा किए गए दंगा सहित कई मामले दर्ज हैं। इसी बवाल में अमृतपाल व उसके साथियों ने अपने बाकी के साथी को छुड़ाने के लिए थाने पर धावा बोल दिया था, जिसमें कई पुलिस वाले घायल हो गए थे। इसके अलावा उस पर तेज गति से गाड़ी चलाने ( रश ड्राइविंग), अपहरण का मामला भी दर्ज है। इसके अलावा उनके ऊपर आर्म्स एक्ट का केस भी दर्ज है। उसके सहयोगी हरमिंदर सिंह के पास से 193 जिंदा कारतूस और 12-गेज की कई पिस्तौलें मिलीं। हरमिंदर के मुताबिक अमृतपाल ने ये बंदूकें और कारतूस खरीदे थे
अमृतपाल सिंह पर भारत के खिलाफ साजिश रचने का आरोप है, तमाम खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के आधार पर एक डोजियर तैयार किया गया है।जिसमें कहा गया है कि वह देश के लिए एक बड़ी साजिश रच रहा था। एजेंसियों का ऐसा मानना है कि अमृतपाल को ISI ने ट्रेनिंग दी थी और उनके लिए काम करता था। उन पर आनंदपुर खालसा फ्रंट नामक अपनी निजी सेना बनाने का भी आरोप है। जांच में बताया गया कि पुलिस को इनमें से कई कारतूस, वर्दी मिली हैं, जिन पर AKF लिखा हुआ था। अमृतपाल सिंह पर यह भी आरोप है कि वह वारिस पंजाब संगठन के ड्रग डिटॉक्स सेंटरों का इस्तेमाल अवैध हथियार रखने के लिए करता था।
पंजाब पुलिस ने पहले ही वारिस पंजाब दे प्रमुख के खिलाफ सख्त NSA लागू कर दिया था। NSA लागू होने के कारण अब अमृतपाल सिंह 3 महीने तक जेल से बाहर नहीं निकल पाएगा और इस अवधि को अधिकतम 12 महीने तक बढ़ाया भी जा सकता है। बड़े अपराधी NSA लगाए जाने से खौफ खाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इसके तहत गिरफ्तार होने के बाद बाहर निकलना काफी ज़्यादा कठिन होता है।