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Amit Shah Formula for Ticket in Madhya Pradesh Assembly Election 2018: मध्य प्रदेश में बीजेपी उम्मीदवारों के नाम तय करने के लिए अमित शाह ने निकाला ये फॉर्मूला

भोपाल. मध्यप्रदेश में बीजेपी का सालों से कब्जा है और 2019 का चुनाव केन्द्र में जीतने के लिए हर हाल में ये कब्जा बरकरार रखना है. लेकिन सालों से बीजेपी की सरकार होने के नाते एक तरफ तो एंटीइनकम्बेंसी फैक्टर है, जिसके चलते कई विधायकों के टिकट काटे जाने की चर्चा चल रही है. दूसरी तरफ तमाम वो कार्यकर्ता या नेता हैं, जिन्हें इतने सालों तक पार्टी की सरकार प्रदेश में रहने के बावजूद अभी तक कुछ नहीं मिला. ऐसे में टिकट से वंचित रह जाने वाले बगावत भी कर सकते हैं, स्थिति जटिल है. तो इस रविवार की देर शाम को पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और सीएम शिवराज सिंह चौहान की मीटिंग में अमित शाह ने उन्हें एक फॉर्मूला दिया है, जिससे कम से कम लोग नाराज होंगे.

इस फॉर्मूला के तहत 16 और 17 अक्टूबर यानी दो दिनों में प्रदेश के बड़े पदाधिकारी, सांसद और कुछ मंत्री भी एमपी की हर विधानसभा क्षेत्र का दौरा करेंगे, वहां सभी पार्टी पदाधिकारियों, जन प्रतिनिधियों और विधानसभा टिकट के आकांक्षियों से मिलेंगे. जिस विधायक की टिकट कटनी तय है, उससे भी मिलेंगे और सबकी सहमति से हर विधानसभा क्षेत्र से तीन-तीन नाम तय करेंगे और उसे 18 अक्टूबर को केन्द्रीय केबिनेट मंत्री नरेन्द्र सिंह तौमर को सौंप देंगे.

अमित शाह ने ये खास तौर पर निर्देश दिए हैं कि सबकी सहमति हो, यानी ज्यादा से ज्यादा लोगों से मिला जाए, उनकी राय जानी जाए, वो किसी नाम का समर्थन कर रहे हैं तो क्यों कर रहे हैं, ये उनसे समझा जाए, किसी के विरोध में हैं तो क्यों हैं, ये भी जाना जाए और जो तीन नाम फाइनल हों, वो सबकी रजामंदी से हों. अब तीन नामों में से जो एक नाम फाइनल होगा, उसका फैसला हाईकमान करेगा. आम तौर पर होता पहले भी यही था, लेकिन इस बार अमित शाह कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं हैं, वो नहीं चाहते कि एक भी बड़ा पदाधिकारी या कार्यकर्ता बीजेपी से नाराज होकर कांग्रेस के खेमे में चला जाए या बगावत का झंडा बुलंद कर दे. इसलिए सबकी सहमति को अनिवार्य कर दिया गया है.

इसलिए 15 अक्टूबर को ही कई विधानसभा क्षेत्रों में अलग अलग पदाधिकारियों की टीम को रवाना भी कर दिया गया था ताकि कम से कम समय में ये काम निपटा लिया जाए. हालांकि इससे ये भी तय हो गया है कि अगर मौजूदा विधायक की सीट से भी तीन नाम जाएंगे तो उसकी भी सीट पक्की नहीं है और उससे भी अपने अलावा बाकी दो नामों पर सहमति देनी ही पडेगी. बूथ प्रमुख के बजाय पन्ना प्रमुख की शुरूआत करने वाले अमित शाह का ये आम सहमति का फॉर्मूला कितना कारगर साबित होता है, ये तो वक्त ही बताएगा.

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Aanchal Pandey

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