Aligarh Seat Analysis: कल्याण सिंह का किला बचा पाएगी बीजेपी या फिर भारी पड़ेगा दलित-मुस्लिम गठजोड़

अलीगढ़: अलीगढ़ शहर ताला-तालीम के लिए देश-दुनिया में विख्यात है। यह शहर अपनी प्राचीन विरासत के लिए भी जाना जाता है। इसके अलावा अलीगढ़ उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का गृह जनपद भी रहा है। अलीगढ़ लोकसभा के अंदर अलीगढ़ जिले की पांच विधानसभा – कोइल, अलीगढ़, बरौली, अतरौली एवं खैर(SC) आती हैं।

अलीगढ़ लोकसभा सीट के अंदर आने वाली पांचों विधानसभा सीटों पर अभी बीजेपी का कब्जा है। बीजेपी की नजर इस बार जीत की हैट्रिक लगाने पर होगी। दूसरी ओर कांग्रेस-सपा ने पूर्व सांसद को उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। वहीं बसपा के उम्मीदवार उतारने के बाद इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। ऐसे में आइए जानते हैं इस सीट के सियासी समीकरण के बारे में।

अलीगढ़ लोकसभा चुनाव 2024 प्रत्याशी

बीजेपी – सतीश कुमार गौतम

Satish Kumar Gautam

सपा-कांग्रेस – बिजेन्द्र सिंह

Chaudhary Bijendra Singh

बसपा – हितेंद्र कुमार उर्फ बंटी उपाध्याय

hitendra upadhyay

लोकसभा चुनाव 2019 परिणाम

2019 लोकसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला बीजेपी और बसपा के उम्मीदवार के बीच था। चुनाव में बसपा और सपा के बीच गठबंधन था, जिसकी वजह से यह सीट बहुजन समाज पार्टी के खाते में आई थी। लेकिन गठबंधन के बावजूद भी बीजेपी के सतीश कुमार गौतम ने बसपा के अजित बालियान को 229,261 वोटों के अंतर से हरा दिया था। सतीश कुमार गौतम को 656,215 वोट मिले थे, तो वहीं अजित को 426,954 वोट मिले थे।

अलीगढ़ का राजनीतिक इतिहास

Aligarh

अलीगढ़ संसदीय सीट के राजनीतिक इतिहास को देखें तो मुस्लिम वर्चस्व वाली इस सीट पर 1957 के बाद से अब तक एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को जीत नहीं मिल सकी है। 1952 और 1957 के चुनाव में कांग्रेस ने बड़े अंतर से इस सीट को जीता था। वहीं 1962 से 1980 तक हुए चुनाव में कांग्रेस को हार का स्वाद चखना पड़ा। 1962 में आरपीआई ने चुनाव जीता तो 1967 और 1971 में भारतीय क्रांति दल को जीत मिली। फिर इमरजेंसी के बाद हुए 1977 और 1980 के चुनाव में जनता दल ने जीत हासिल की। 1984 के चुनाव में कांग्रेस को सहानुभूति लहर का फायदा मिला और उन्होंने अलीगढ़ में वापसी की। फिर 1989 के चुनाव में जनता दल के टिकट पर सत्यपाल मलिक ने चुनाव जीता।

इसके बाद देश में राम मंदिर को लेकर आंदोलन चला और 1991 के चुनाव से यह सीट बीजेपी के लिए गढ़ बन गई। शीला गौतम ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए 1991, 1996, 1998 और 1999 में लगातार 4 चुनाव में जीत हासिल की। 2004 में कांग्रेस की वापसी हुई और कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह ने चुनाव जीता। 2009 में यह सीट बसपा के खाते में आई और राज कुमार चौहान यहां से सांसद चुने गए। फिर 2014 में मोदी लहर में अलीगढ़ सीट भी बीजेपी के कब्जे में आ गई। सतीश कुमार गौतम बीजेपी के टिकट पर सांसद बने। 2019 में सतीश कुमार गौतम एक बार फिर यहां से चुनाव जीते।

जातीय समीकरण

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अलीगढ़ लोकसभा में कुल वोटरों की संख्या तकरीबन 20 लाख है। जिसमें 2.5 लाख वोटर जाट समुदाय से आते हैं। मुस्लिम मतदाता की आबादी भी 3 लाख के करीब है। जाटव समुदाय की संख्या 2 लाख के आसपास है। वहीं डेढ़ लाख ब्राह्मण, दो लाख ठाकुर और 1-1 लाख बघेल, वैश्य, लोध, यादव समाज की आबादी है। यहां अन्य जातियों की आबादी भी करीब 5 लाख है।

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