पटना: बिहार में एक बार फिर नकली शराब पीने से कई लोगों की मौत हो चुकी हैं। आपको बता दें, यहां के मोतिहारी जिले में जहरीली शराब से 8 लोगों की मौत हो गई और 6 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई। पीड़ितों का अस्पताल में इलाज चल रहा है। उनका कहना है कि […]
पटना: बिहार में एक बार फिर नकली शराब पीने से कई लोगों की मौत हो चुकी हैं। आपको बता दें, यहां के मोतिहारी जिले में जहरीली शराब से 8 लोगों की मौत हो गई और 6 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई। पीड़ितों का अस्पताल में इलाज चल रहा है। उनका कहना है कि शराब पीने के बाद उनकी हालत तेजी से बिगड़ती गई। डॉक्टर इस जहरीली शराब की वजह बताते हैं।
वैसे आपको बता दें, बिहार में ऐसा होने की यह पहली घटना नहीं है। ड्राई स्टेट कहे जाने वाले बिहार और गुजरात में भी पिछले साल ऐसे कई मामले सामने आए थे। लेकिन ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि आखिर शराब में ऐसा क्या होता है जो उसे जहरीला बनाती है। साथ ही इस तरह की शराब से हमारे शरीर पर क्या असर पड़ता है।
आपको बता दें, देश की कच्ची शराब बनाने के लिए महुआ के फूल, गन्ने का रस, चीनी मिट्टी के बरतन, जौ, मक्का, आलू, चावल और सड़े हुए संतरे का इस्तेमाल किया जाता है। ये सभी स्टार्च वाली चीजें हैं और इनमें यीस्ट मिलाकर फर्मेंटेशन किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान ऑक्सीटॉक्सिन का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा नौसादर, बेसरामबेल के पत्ते और यूरिया डाला जाता है।
इसे भट्टी पर भी चढ़ाया जाता है और उबालकर तैयार की गई भाप से शराब बनाई जाती है। इसके बाद मेथेनॉल मिलाया जाता है। यहीं से जहरीला प्रभाव शुरू होता है: मेथनॉल मिलाने के बाद, फर्मेंटेशन प्रॉसेस के अंत में, एथिल अल्कोहल वाली शराब अल्कोहल मिथाइल में कन्वर्ट हो जाता है। यही मेथिल अल्कोहल शराब को शराब को जहरीला बनाने का काम करती है।
पूरा खेल मिथाइल अल्कोहल के शरीर में पहुंचने के बाद होता है। फॉर्मिक एसिड शरीर में पहुंचते ही जहर बन जाता है। शराब पीने वालों के दिमाग पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसकी प्रतिक्रिया तेज होती है और शरीर के आंतरिक अंग काम करना बंद कर देते हैं। हालांकि इस प्रक्रिया का प्रभाव एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में देर-सवेर देखा जा सकता है, लेकिन ज्यादातर मामलों में मृत्यु हो जाती है या उन्हें दिखाई देना बंद हो जाता है।
आपको बता दें, बिहार में मादक पेय पदार्थों पर प्रतिबंध के बावजूद राज्य में कच्ची शराब का उत्पादन होता है। बैन के बाद भी इसकी डिमांड बढ़ गई है। कई बार तो लोग नशे की खातिर अपनी जान से खिलवाड़ करना भी नहीं छोड़ते। जानकारी है कि बिहार में लगभग 15% लोग प्रतिबंध के बावजूद रोजाना इसे पीते हैं। इनमें से कई मामले पूर्व में तब सामने आए जब लोगों की मौत हुई, लेकिन अब भी यहां शराब माफिया का बोलबाला है। भले ही बिहार सरकार का दावा है कि राज्य में पूरी तरह शराबबंदी है लेकिन सच तो जनता के सामने है ही।