लोकसभा चुनाव के लिए अखिलेश तैयार, जातीय समीकरण साधने की कर रहे कोशिश

लखनऊ : 2022 विधानसभा चुनाव हारने के बाद से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए तैयारियां शूरू कर दी है. अखिलेश यादव के बांहों में जोर आने का कारण चाचा शिवपाल यादव का साथ आना उनके लिए रामबाण की तरह काम करेगा. साप अध्यक्ष का आत्मविश्वास और बढ़ […]

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लोकसभा चुनाव के लिए अखिलेश तैयार, जातीय समीकरण साधने की कर रहे कोशिश

Vivek Kumar Roy

  • January 31, 2023 4:49 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

लखनऊ : 2022 विधानसभा चुनाव हारने के बाद से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए तैयारियां शूरू कर दी है. अखिलेश यादव के बांहों में जोर आने का कारण चाचा शिवपाल यादव का साथ आना उनके लिए रामबाण की तरह काम करेगा. साप अध्यक्ष का आत्मविश्वास और बढ़ गया है जब से मैनपुरी में हुए उपचुनाव में बंपर जीत मिली. इस जीत के बाद से सपा के कार्यकर्ताओं में जोश आ गया. शिवपाल यादव ने अपनी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का सपा में विलय कर दिया. डिपंल यादव की जीत में शिवपाल यादव की प्रमुख भूमिका थी. डिंपल यादव को जसवंतनगर विधानसभा में सबसे ज्यादा वोट मिला था. जसवंतनगर शिवपाल यादव का गढ़ माना जाता है.

जातीय समीकरण साधने की कोशिश में अखिलेश

यूपी में चुनाव होता है तो हर पार्टी जातीय समीकरण साधने की कोशिश करती है. सपा ने भी जातीय समीकरण साधने के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन किया है. सपा ने जो टीम बनाई है उसमें जाति के साथ क्षेत्र को भी ध्यान दिया गया है. वहीं अगर हम पूर्वांचल की बात करे जहां पर सपा को 2017 विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें मिली थी. वहां पर अखिलेश का फोकस दलित और ओबोसी के वोटों पर है. अगर हम पश्चिम की बात करें तो यहां पर राष्ट्रीय लोक दल के साथ मिलकर जाट और मुस्लिम वोट बैंक हासिल करने की कोशिश में है. अखिलेश को निराशा विधानसभा चुनाव में अपने की हलाके में मिली थी जिसको यादव लैंड कहा जाता है. वहां पर बीजेपी ने बाजी मार ली थी. वहां के लिए भी सपा अध्यक्ष ने अलग से प्लांनिग तैयार की है.

पूर्वांचल में पिछड़ों पर फोकस

सपा अध्यक्ष को पूर्वांचल से काफी उम्मीदें है क्योंकि यहां पर 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में अच्छी-खासी सीटें मिली थी. आजमगढ़ सपा का गढ़ माना जाता है यहां पर अखिलेश यादव ने बलराम यादव को महासचिव बनाया है. वहीं राजभर समाज से रामअचल राजभर को कमान सौंपी है. पूर्वांचल में सपा ने जो रणनीति बनाई है उससे साफ दिख रहा है कि दलित और ओबीसी का वोट हासिल करने की जुगत में है.

कानपुर और बुंदेलखंड में ओबीसी पर लगाया दांव

बुंदेलखंड और कानपुर में यादव के साथ अतिपछड़ी जातियां को भी साधने की कोशिश कर रहे है. क्योंकि अखिलेश को अपने इलाके में काफी नुकसान हुआ था, यहां पर बीजेपी ने अपना परचम लहराया था. सपा ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी में चाचा शिवपाल सहित परिवार के 6 सदस्यों को जिम्मेदारी मिली है. अगर झांसी की हम बात करे तो यहां से चंद्रपाल यादव को जिम्मेदारी मिली है,रामबख्स वर्मा को सचिव को सचिव बनाया गया है.

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