अजमेर, अजमेर के कुछ खादिमों द्वारा दिए जा रहे विवादित बयानों का असर अब सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में जियारत के लिए आने वाले लोगों पर भी नज़र आ रहा है, ईद उल अजहा के मौके पर भी दरगाह की सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है.
एक ओर जहां बीते सालों में ईद के मौके पर दरगाह बाजार में भीड़ के चलते आने-जाने में भी परेशानी होती थी. वहीं अब जायरीन की संख्या सीमित हो गई है, कोरोना काल से पहले की बात की जाए तो ईद के मौके पर हजारों जायरीन जियारत के लिए अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह आते थे, लेकिन अब हालात बदल गए हैं.
इसके अलावा अजमेर के होटल व्यवसाय की बात करें तो सभी होटल खाली ही नज़र आ रहे हैं, होटलों में इक्का-दुक्का कमरे ही ऐसे हैं जो भरे हैं. इतनी कम भीड़ होने से होटल मालिको की लागत भी नहीं निकल पा रही है. दरगाह बाजार में गुलाब के फूलों की दुकानें भी वीरान हो गई हैं, अचानक हुई जायरीनों की संख्या में कमी से व्यापार पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है. जानकारी के मुताबिक, दरगाह बाजार क्षेत्र में व्यापार करीब 70 प्रतिशत तक कम हुआ है, बता दें इन सब के पीछे बीते दिनों अजमेर के कुछ खादिमों के वायरल हुए वीडियो को वजह माना जा रहा है.
बता दें कि बीते दिनों अजमेर दरगाह के खादिम सलमान चिश्ती ने भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा का सिर कलम करने वालों को इनाम के तौर पर अपना मकान देने की घोषणा की थी. खादिम ने इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया था, जिसके बाद से दरगाह के खादिम की हर जगह निंदा होने लगी.
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