नई दिल्ली. अर्थव्यवस्था को बेहतर स्थिति में लाने के लिए और लगातार देश को विकास के पथ पर बढ़ाने के लिए कई उद्योग धंधे और ट्रांसपोर्ट कार्यरत हैं. ऐसे में स्थिति यह है कि देश भर में जगह-जगह दम घोंटू प्रदूषण का माहौल है. राजधानी दिल्ली और मुंबई में हाल और भी बुरा है. यहाँ […]
नई दिल्ली. अर्थव्यवस्था को बेहतर स्थिति में लाने के लिए और लगातार देश को विकास के पथ पर बढ़ाने के लिए कई उद्योग धंधे और ट्रांसपोर्ट कार्यरत हैं. ऐसे में स्थिति यह है कि देश भर में जगह-जगह दम घोंटू प्रदूषण का माहौल है. राजधानी दिल्ली और मुंबई में हाल और भी बुरा है. यहाँ की हवा में तो मानों ज़हर ही घुल गया है. इन इंसानी गतिविधियों से होने वाले प्रदूषण खासतौर से कार्बन उत्सर्जन का असर वायुमंडल में सदियों तक रहता है. जिसकी वजह से वैश्विक गर्मी बढ़ रही है. यानी ग्लोबल वार्मिंग. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से समुद्री जलस्तर में बढ़ोतरी हो रही है. साथ ही, इस समय पंजाब और हरियाणा में पराली जलाई जा रही है, जिससे दिल्ली समेत अन्य पड़ोसी राज्यों में प्रदूषण ( Air Pollution ) का स्तर बढ़ गया है.
राजधानी दिल्ली समेत उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में इस समय दमघोंटू हवा का कहर है. पंजाब और हरियाणा में पराली के बढ़ते मामलों के चलते इन राज्यों में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है. इन राज्यों की वायु गुणवत्ता खराब हो रही है. हरियाणा के गुडगाँव में वायु गुणवत्ता 174 तक पहुंच गई है. एनसीआर के आस-पास के इलाकों में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है. उत्तर प्रदेश में एयर क्वालिटी इंडेक्स बेहद ख़राब श्रेणी में दर्ज किया गया, सुबह वायु गुणवत्ता 333 दर्ज की गई तो वहीं दोपहर एक बजे 352 पर रिकार्ड किया गया.
पंजाब के अमृतसर में एयर क्वॉलिटी सामान्य रिकॉर्ड किया गया. अमृतसर की आबोहवा 84 रिकार्ड की गई. तो वहीं जालंधर में इसका स्तर माड्रेट 108 था इसी तरह से बिहार के हाजीपुर में इसका स्तर माड्रेट 172, गया में 158 और राजधानी पटना में 170 रिकार्ड किया गया.
गाज़ियाबाद और पूसा में एयर क्वालिटी बहुत ख़राब श्रेणी में दर्ज की गई है. यहाँ की हवा पराली के धुंए की वजह से इन जगहों की आबोहवा काफी ख़राब श्रेणी में दर्ज की गई.