अहमदाबाद, शुक्रवार, सुबह 11:30 बजे… वो ऐतिहासिक समय जब अदालत ने 13 साल तक आतंक से मिले जख्मों को इंसाफ दिया. 13 सालों बाद अहमदाबाद के सीरियल बम धमाके (Ahmedabad Serial blast) पर फैसला आया है. विशेष अदालत ने इस मामले में 38 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है, जबकि 11 को उम्र कैद दी गई. बता दें कि सीरियल ब्लास्ट मामले में कोर्ट ने 49 अभियुक्तों को दोषी माना था. गौरतलब है, अहमदाबाद में 26 जुलाई 2008 को सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे और 70 मिनट के अंदर कहानी ही बदल गई थी, इस धामके में 56 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी और 200 से ज्यादा घायल हुए थे. इस ब्लॉस्ट को गोधरा का बदला लेने के लिए अंजाम दिया गया था.
यह फैसला वाकई ऐतिहासिक है, क्योंकि देश के इतिहास में पहली बार एक साथ 38 लोगों को फांसी की सजा मुकर्रर की गई है. इससे पहले सिर्फ राजीव गांधी हत्याकांड में ही एक साथ 26 लोगों को सज़ा सुनाई गई थी.
अहमदाबाद में हुए सीरियल बम धमाके को अब 13 साल के ज्यादा हो चुके हैं, 26 जुलाई 2008 को ये बम धमाके किए गए थे. इस धमाके में 56 लोगों की मौत हुई थी, तो वहीं 200 से अधिक लोग घायल हो गए थे. अदालत में यह मामला 13 साल से भी ज्यादा समय तक चला. इस मामले में पिछले सप्ताह 49 लोगों को दोषी ठहराया गया था और 28 अन्य को स्पेशल कोर्ट ने बरी कर दिया था. इसी दिन कोर्ट ने धमाकों में मारे गए लोगों के परिजनों को एक लाख, गंभीर घायलों को 50 हजार और मामूली घायलों को 25 हजार रुपए का मुआवजा देने का ऐलान भी किया था. कुल 78 लोगों पर मुकदमा चला था.
26 जुलाई को हुए 21 धमाकों के बाद सूरत पुलिस ने 28 जुलाई और 31 जुलाई 2008 के बीच शहर के अलग-अलग इलाकों से 29 बम बरामद किए थे, जिनमें से 17 बम वराछा इलाके में मिले तो वहीं अन्य कतारगाम, महिधरपुरा और उमरा इलाके में मिले थे. बाद में पुलिस की जांच में पता चला कि आतंकियों ने अहमदाबाद को दहलाने की पूरी साजिश रची थी लेकिन गलत सर्किट और डेटोनेटर की वजह से इन बमों में विस्फोट नहीं हो पाया था.
साल 2008 में अहमदाबाद में बम प्लांट करने के लिए दिल्ली से इंडियन मुजाहिद्दीन के 12 आतंकी अहमदाबाद के लिए रवाना हुए थे. यह मामला जुलाई 2008 का है. 22 जुलाई को बम प्लांट करने तीन आतंकी गए थे, जिसमें आतिम अमीन, मोहम्मद साजिद और मोहम्मद सैफ शामिल था. इन आतंकियों में से आतिम अमीन और मोहम्मद साजिद को पुलिस ने बटला हाउस एनकाउंटर के दौरान ढेर कर दिया था, जिसके बाद 25 जुलाई 2008 को 9 आतंकी, जिसमें मोहम्मद शकील, जिया उर रहमान, जीशान अहमद, सलमान, आरिफ, सैफुर रहमान, आरिज खान, मिर्जा शादाब बेग और मोहम्मद खालिद शामिल था अहमदाबाद बम प्लांट करने गए थे.
इन आतंकियों ने 26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद में बम प्लांट किया और 26 जुलाई शाम को ट्रेन पकड़ कर वापस दिल्ली आ गए थे और इसी दिन 26 जुलाई को ही 70 मिनट के अंदर सिलसिलेवार 21 ब्लास्ट हुए थे, जिसमें 56 लोगों की मौत हो गई और 200 से ज्यादा लोग घायल हुए.
26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद में शाम 6 बजकर 45 मिनट पर पहला बम धमाका अहमदाबाद के मणिनगर में हुआ था. मणिनगर उस समय के गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का विधानसभा क्षेत्र था. इसके बाद 70 मिनट तक सिलसिलेवार 20 और बम धमाके हुए थे, इन धमाकों में 56 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे.
अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट में आतंकियों ने हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल किया था, आतंकियों ने टिफिन में बम रखकर उसे साइकिल पर रख दिया था. ये धमाके भीड़ भाड़ और बाजार वाली जगहों पर हुए थे. इन धमाकों में इंडियन मुजाहिदीन (IM) और स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) से जुड़े आतंकी शामिल थे. दोनों ने मिलकर इस घटना को अंजाम दिया था. गौरतलब है, अमहदाबाद में धमाकों से 5 मिनट पहले समाचार पत्र, टीवी चैनलों और समाचार एजेंसियों को ‘इंडियन मुजाहिदीन’ के नाम पर मेल किया गया था, जिसमें धमाके की जानकारी देते हुए लिखा था कि, “रोक सको तो रोक लो.”
समाचार एजेंसियों को यह ईमेल एडवांस WI-FI तकनीक के जरिए मुंबई से भेजा गया था और WI-FI इंटरनेट कनेक्शन को इस्तेमाल करने वाले का बाद में पता नहीं लगाया जा सकता था. ब्लास्ट के बाद सबसे पहले पुलिस की जांच में 3 मोबाइल नंबर संदेह के घेरे में आए थे ये नंबर 14 जुलाई तक अहमबादाद और सूरत में सबसे ज्यादा एक्टिव थे और ब्लास्ट वाले दिन अचानक बंद हो गए थे, जिससे पुलिस का शक इन नंबरों पर और बढ़ गया. इस मामले में पुलिस का मानना है कि इंडियन मुजाहिदीन के आतंकियों ने 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के जवाब में ये धमाके किए थे.
इस मामले में स्पेशल टीम ने महज 19 दिनों में 30 आतंकियों को पकड़कर जेल भेज दिया था, जिसके बाद बाकी आतंकियों को देश के अलग-अलग शहरों से पकड़ा जाता रहा. गौरतलब है, अहमदाबाद सीरियल धमाके से पहले इंडियन मुजाहिदीन की इसी टीम ने जयपुर और वाराणसी में भी धमाकों को अंजाम दिया था. जयपुर और वाराणसी में हुए ब्लास्ट के बाद देश के कई राज्यों की पुलिस इन्हें पकड़ने में लगी हुई थी, लेकिन आतंकी पुलिस की पकड़ में नहीं आए और ये एक के बाद एक ब्लास्ट करते चले गए, अहमदाबाद धमाकों के दूसरे दिन, यानी 27 जुलाई को सूरत में भी सीरियल ब्लास्ट की कोशिश की गई थी, लेकिन टाइमर में गड़बड़ी की वजह से बम फट नहीं पाए थे और सूरत घटना का केंद्र बनने से बच गया था.
बता दें अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट में 78 आरोपी थे, जिसमें से एक आरोपी बाद में सरकारी गवाह बन गया था. इस कारण कुल आरोपियों की संख्या 77 थी. इस मामले की सुनवाई 13 साल तक कोर्ट में चले, जिसकी सुनवाई के दौरान 1,163 गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे. मामले में पुलिस और कानूनी एजेंसियों ने 6 हजार से ज्यादा सबूत पेश किए थे, जिसके बाद 8 फरवरी को स्पेशल कोर्ट ने 49 आरोपियों को को दोषी करार दिया था.
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