नई दिल्ली: एनएससीएन-आईएम (नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड- इसाक मुइवा) ने नागा राजनीतिक मुद्दे पर गतिरोध को हल करने के लिए तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की मांग की है। एनएससीएन-आईएम के इसाक-मुइवा गुट ने एक बयान जारी कर भारत के खिलाफ हिंसक प्रतिरोध फिर से शुरू करने की धमकी दी है। एनएससीएन पड़ोसी राज्यों असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के नगा बहुल क्षेत्रों को मिलाकर 12 लाख नागाओं को एकजुट करके ‘ग्रेटर नगालैंड’ या नगालिम के निर्माण की मांग कर रहा है।
2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर के बाद यह पहली बार है जब हिंसक संघर्ष की धमकी दी गई है। समूह ने केंद्र पर 3 अगस्त, 2015 को हस्ताक्षरित फ्रेमवर्क समझौते को लेकर विश्वासघात का आरोप लगाया है। सशस्त्र विद्रोही समूह ने 1997 में केन्द्र सरकार के साथ युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर किये थे।
एनएससीएन-आईएम के महासचिव टी मुइवा ने एक बयान जारी कर दावा किया कि केंद्र जानबूझकर समझौते के प्रमुख प्रावधानों का सम्मान करने से इनकार कर रहा है, खासकर नागा राष्ट्रीय ध्वज और संविधान को मान्यता देने से। उन्होंने कहा कि फ्रेमवर्क समझौते का पालन करने में केंद्र की विफलता से नए हिंसक टकराव हो सकते हैं। उन्होंने गतिरोध को हल करने के लिए तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप का भी बात की।
एनएससीएन महासचिव और मुख्य राजनीतिक वार्ताकार टी. मुइवा द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि एनएससीएन नागाओं के अद्वितीय इतिहास, संप्रभुता, स्वतंत्रता, क्षेत्र, ध्वज और संविधान की रक्षा के लिए कुछ भी करेगा।
जानकारी के अनुसार, एक सरकारी सूत्र ने बताया कि टी. मुइवा के नाम से यह बयान उनके दो चीन स्थित सहयोगियों फुंटिंग शिमरे और पामशिन मुइवा द्वारा तैयार किया गया है। सूत्रों के मुताबिक 90 वर्षीय मुइवा की तबीयत ठीक नहीं है और वे सरकार के साथ हाल ही में हुई वार्ता में शामिल नहीं हुए।
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