शिमला। प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से अति संवेदशील बने जनजातीय जिला किन्नौर की सापनी पंचायत भूस्खलन के कारण खतरे की जद में आ गई है। पंचायत की करीब 3000 की आबादी इन दिनों खौफ में है। पंचायत क्षेत्र के ठीक नीचे कांदरालेस में पिछले एक सप्ताह से भूस्खलन का सिलसिला चल रहा है। इसके अलावा […]
शिमला। प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से अति संवेदशील बने जनजातीय जिला किन्नौर की सापनी पंचायत भूस्खलन के कारण खतरे की जद में आ गई है। पंचायत की करीब 3000 की आबादी इन दिनों खौफ में है। पंचायत क्षेत्र के ठीक नीचे कांदरालेस में पिछले एक सप्ताह से भूस्खलन का सिलसिला चल रहा है। इसके अलावा ग्रामीणों के सैकड़ों सेब के पौधे भूस्खखन की चपेट में आ गए है। ग्रामीणों की निजी जमीन को भी काफी ज्यादा नुकसान पहुंचा है।
भूमिगत पानी के बहाव से हो रहे कटाव के कारण सापनी पंचायत को खतरा पैदा हो गया है। ऐसा पहली बार नहीं है कि यहां भूस्खलन हो रहा हो, वर्ष 1984 में यहां भूस्खलन होने के कारण बुरआ सापनी सड़क पूरी तरह से ध्वस्त हो गई थी और उसका नामोनिशान मिट गया था। इसके बाद साल दर साल यहां भूस्खलन की घटनाएं हो रही है। 27 सितंबर 2022 को यहां बड़ा भूस्खलन हुआ था।
बीते सप्ताह से यहां भूस्खलन होने के बाद मामले को लेकर ग्रामीणों ने सरकार और जिला प्रशासन से सुरक्षा के लिहाज से जरूरी कदम उठाने की मांग की थी। ग्रामीणों ने सरकार और जिला प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द मौके पर भू-वैज्ञानिकों को यहां भेज कर समस्या के बारे में पता लगाएं।
लोगों ने प्रशासन को दरार रोकने के लिए तुरंत क्रेटवॉल लगाने के साथ ही भूमिगत जल की सही निकासी कराने की मांग की है। भूस्खलन के कारण पंचायत के रामकृष्ण नेगी, अशोक कुमार नेगी, विन्या सिंह नेगी के सैकड़ों सेब के पौधे क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जबकि कई बीघा भूमि खतरे की जद में आ गई हैं।
ग्रामीण विकास और स्वयंसेवी संगठन सापनी के अध्यक्ष धर्मसेन नेगी, पूर्व प्रधान राज कुमार नेगी, चद्रंज्ञान नेगी ने सरकार से इस मामले पर जल्द कदम उठाने को लेकर उपायुक्त किन्नौर एसएस राठौर से मुलाकात भी की। मामले की गंभीरता को देखते हुए उपायुक्त किन्नौर एसएस राठौर ने फिलहाल एसडीएम कल्पा और राजस्व विभाग की टीम को मौके पर भेजने के अलावा, सुरक्षा के लिहाज से किए जाने वाले कार्य को पूरा करने का आश्वासन दिया है।