Karnataka Hijab row : कर्नाटक में हिजाब के बाद स्कूल में गीता पढ़ाने को लेकर बहस, जानिए क्या है पूरा मामला

Karnataka Hijab row बेंगलुरु, Karnataka Hijab row कर्नाटक के हिजाब विवाद के बाद अब वहां के स्कूलों से एक और विवाद सामने आता दिख रहा है. जहां ये मामला अब सरकार और विपक्ष के बीच गर्माता भी नज़र आ रहा है. जहाँ स्कूलों में हिन्दू धार्मिक किताब भगवत गीता को पढ़ाने की मांग भी उठ […]

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Karnataka Hijab row : कर्नाटक में हिजाब के बाद स्कूल में गीता पढ़ाने को लेकर बहस, जानिए क्या है पूरा मामला

Riya Kumari

  • March 20, 2022 7:24 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

Karnataka Hijab row

बेंगलुरु, Karnataka Hijab row कर्नाटक के हिजाब विवाद के बाद अब वहां के स्कूलों से एक और विवाद सामने आता दिख रहा है. जहां ये मामला अब सरकार और विपक्ष के बीच गर्माता भी नज़र आ रहा है. जहाँ स्कूलों में हिन्दू धार्मिक किताब भगवत गीता को पढ़ाने की मांग भी उठ रही है.

 

कर्नाटक के स्कूलों में भगवत गीता की मांग

कर्नाटक के उडुप्पी से उपजे हिजाब विवाद को लेकर कितना बवाल हुआ वो सभी के सामने हैं. इसी बीच अब स्कूलों में भगवत गीता पढ़ाने की भी मांग उठ रही है. जहां इस विवाद में अब सरकार और विपक्ष दोनों ही कूद पड़े हैं. हालांकि मामले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई का बयान है कि भगवत गीता को स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में शमिल करने का फैसला पूर्ण चर्चा के बाद ही लिया जाएगा. इसके अलावा उन्होंने बताया की शास्त्र नैतिक मूल्यों को प्रदान करता है.

पत्रकारों से बात करते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई बोले की मामले में अब देखना बाकी है कि शिक्षा विभाग क्या वितरण देगा. आगे वह इस सोच के पीछे की मंशा बताते हुए बोले, बच्चों को शिक्षा और नैतिक मूल्य प्रदान करना ही शास्त्रों को स्कूल में पढ़ाने का उद्देश्य है.

गुजरात में पाठ्यक्रम का हिस्सा ‘गीता’

बता दें की भाजपा शासित गुजरात में गुरुवार को राज्य भर में भगवत गीता को शैक्षणिक वर्ष 2022-23 में शामिल कर दिया गया है. पूरे राज्य में हिन्दू शास्त्र कक्षा 6 से 12 की पढ़ाई का हिस्सा बनेगी. गुजरात सरकार के इस फैसले पर कर्नाटक के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने बताया कि कर्नाटक की सरकार पहले इस मामले में शिक्षाविदों के साथ चर्चा करेगी और उसके बाद ही कोई फैसला लेगी. साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि आज के दौर में बच्चो में नैतिक मूल्य गिर रहे हैं. उनके अनुसार पहले नैतिक विज्ञान की जो शिक्षा होती थी उसमें रामायण और महाभारत से जुड़े पाठ पढ़ाए जाते थे.

आगे शिक्षा मंत्री ने बताया कि कुछ वर्षों से स्कूलों में मोरल साइंस की पढाई को छोड़ दिया गया है. कई माता-पिता इसे महसूस भी कर सकते है कि इसे पढ़ाए जाने की आवश्यकता है. फिलहाल इसे भविष्य में लाने की चर्चा की जानी बाकि है.

विपक्ष बोला भाजपा का स्वार्थ

कर्नाटक कांग्रेस नेता रहमान खान ने मामले में कर्नाटक शिक्षा मंत्री से गुजरात की तर्ज पर कहा, अगर वह कई सारे धर्मों के शास्त्र को पाठ्यक्रमों के तौर पर पढ़ाने का आदेश देते हैं तो इसमें कोई गलत नहीं है क्योंकि भारत एक बहुधार्मिक देश है. हर धार्मिक पुस्तक धर्म सिखाती है अब चाहे वह गीता हो या कोई और. उन्होंने आगे कहा कि इसमें केवल भाजपा का स्वार्थ है. वह शिक्षा में भी हिंदुत्व नीति को लाने का प्रयास कर रही है.

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