नई दिल्ली : जस्टिस संजीव खन्ना सुप्रीम कोर्ट के 51वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बनेंगे। उनका कार्यकाल सिर्फ छह महीने का होगा और वे मई 2025 में सेवानिवृत्त होंगे। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना चार दशक से भी ज्यादा समय से कानूनी पेशे में सक्रिय हैं।
सोशल मीडिया और वीडियो माध्यमों की बढ़ती लोकप्रियता के इस दौर में अदालती सुनवाई के लाइव प्रसारण, कानूनी हस्तियों और अदालतों के बाहर उनके जीवन से जुड़ी खास बातें जानने में भी दिलचस्पी बढ़ रही है। इसी कड़ी में जस्टिस संजीव खन्ना से जुड़ा एक चौंकाने वाला दावा सामने आया है। सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि चीफ जस्टिस बनने के बाद जस्टिस संजीव खन्ना सुबह की सैर नहीं कर पाएंगे।
जस्टिस संजीव खन्ना को जानने वाले कानूनी पेशेवर बताते हैं कि न्यायमूर्ति खन्ना बेहद आम जीवन जीने में यकीन रखते हैं। ऐसे में जब वे भारत के 51वें चीफ जस्टिस नामित हुए तो उनकी सुरक्षा को लेकर खास बंदोबस्त किए जाने लगे। सुप्रीम कोर्ट से जुड़े वकील बताते हैं कि दैनिक जीवन में जस्टिस खन्ना सुबह की सैर जरूर करते हैं। हालांकि, अब चीफ जस्टिस बनने के बाद वे सुबह की सैर नहीं कर सकेंगे। उन्होंने कुछ खास कारणों से सुबह की सैर छोड़ने का फैसला किया है।
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया है कि सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस की कुर्सी संभालने के बाद न्यायमूर्ति खन्ना को विशेष सुरक्षा घेरा प्रदान किया जाएगा। देश के चुनिंदा शीर्ष संवैधानिक पदों में शामिल इस पद पर आसीन शख्सियत को लेकर कई प्रोटोकॉल फॉलो करने पड़ते हैं। इन्हीं में एक है सुरक्षा बंदोबस्त। हालांकि, बेहद साधारण और आम जीवन जीने वाले न्यायमूर्ति खन्ना अपने करीबी लोगों और दोस्तों से मिलने के दौरान भी काफी लो प्रोफाइल तरीके से रहते हैं। वे अपनी गाड़ी भी खुद ड्राइव करना पसंद करते हैं।
चीफ जस्टिस की मॉर्निंग वॉक को लेकर सामने आई खबरों में दावा यह किया गया है कि सोमवार, 11 नवंबर को चीफ जस्टिस के रूप में शपथ लेने से पहले ही न्यायमूर्ति खन्ना ने अपनी पसंदीदा गतिविधि- ‘एकांत में सुबह की सैर’ छोड़ने का निर्णय लिया हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि नियुक्ति अधिसूचना जारी होने के बाद उन्हें सुरक्षाकर्मियों के साथ सुबह की सैर पर जाने की सलाह दी गई, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वे ऐसा करने के आदी नहीं हैं।
चीफ जस्टिस की मॉर्निंग वॉक के बारे में रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि सोमवार 11 नवंबर को चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ लेने से पहले ही जस्टिस खन्ना ने अपनी पसंदीदा गतिविधि ‘एकांत में सुबह की सैर’ छोड़ने का फैसला कर लिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि नियुक्ति अधिसूचना जारी होने के बाद उन्हें सुरक्षाकर्मियों के साथ सुबह की सैर पर जाने की सलाह दी गई थी, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसा करने की आदत नहीं है।
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