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मेघालय से पूरी तरह हटा AFSPA, अरुणाचल प्रदेश में 8 पुलिस स्टेशनों से भी हटाया गया

केंद्र सरकार ने मेघालय से पूरी तरह आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर्स एक्ट (AFSPA) हटाने का फैसला किया है. साथ ही अरुणाचल प्रदेश के 8 पुलिस स्टेशनों से भी अफ्सपा हटा दिया गया है. गृह मंत्रालय ने इस संबंध में एक बयान जारी कर सूचना दी.

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AFSPA removed from Meghalaya Arunachal Pradesh
  • April 23, 2018 5:49 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्लीः केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार को सशस्त्र बलों को खास शक्तियां देने वाले कानून आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर्स एक्ट (AFSPA) को मेघालय से पूरी तरह हटा दिया. साथ ही अरुणाचल प्रदेश के 8 पुलिस स्टेशनों से भी अफ्सपा हटा दिया गया है. गृह मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में बताया गया, ‘मेघालय के सभी इलाकों से 1 अप्रैल, 2018 से अफस्पा पूरी तरह हटाया जा रहा है. साथ ही अरुणाचल प्रदेश के 16 थाना क्षेत्रों में से अब यह केवल 8 में ही लागू रहेगा.’

इससे पहले 2 अप्रैल को केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश के तीन जिलों और असम के 8 पुलिस स्टेशनों पर अगले 6 महीने तक AFSPA लगाने का फैसला किया था. गृह मंत्रालय की तरफ से इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी किया गया था. इसके मुताबिक, अरुणाचल प्रदेश के तीन जिलों तिराप, चांगलांग और लॉन्गडिंग और असम के 8 पुलिस स्टेशनों को अफ्सपा एक्ट के तहत ‘डिस्टर्ब्ड’ करार दिया था. अरुणाचल के तीनों जिले म्यांमार सीमा से सटे हैं.

बता दें कि सितंबर 2017 तक मेघालय के 40 फीसदी हिस्से में अफस्पा लागू था. केंद्र सरकार के राज्य सरकार के साथ विचार-विमर्श के बाद अब समूचे मेघालय से इसे पूरी हटाने का फैसला लिया गया है. सरकार के इस फैसले पर मेघालय की जनता ने खुशी जताई है. दूसरी ओर गृह मंत्रालय ने पूर्वोत्तर राज्यों में विद्रोहियों के लिए सरेंडर-रीहैबिटेशन पॉलिसी (आत्मसमर्पण-सहपुनर्वास नीति) के तहत दी जाने वाली 1 लाख रुपये की राशि को बढ़ाकर 4 लाख रुपये तक कर दिया है. गृह मंत्रालय की ओर से जारी बयान में यह भी कहा गया है कि पिछले 4 साल में देश के उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में विद्रोहियों से संबंधित घटनाओं में 63 फीसदी तक की कमी आई है.

क्या होता है AFSPA
आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर्स एक्ट (AFSPA) जिन इलाकों में लागू होता है, वहां पूरा नियंत्रण सेना के हाथ में होता है. सेना इस कानून के तहत किसी भी इलाके को ‘डिस्टर्ब्ड’ घोषित करके वहां के नागरिकों को गिरफ्तार कर सकती है. कुल मिलाकर कहा जाए तो यह एक्ट सशस्त्र बलों को खास शक्तियां प्रदान करता है. मानवाधिकार संगठनों से जुड़े लोग इसे देश के सभी राज्यों से हटाने की अक्सर मांग करते हैं.

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