नई दिल्ली: गुरुवार को दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान की महाबैठक ने गहलोत बनाम पायलट की लड़ाई पर लगाम लगाने का काम किया है. इस महाबैठक में कई ऐसे अहम फैसले हुए जो 4 घंटों तक चली. बैठक में कांग्रेस हाईकमान मल्लिकार्जुन खरगे सख्त नज़र आए वहीं पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष दृढृ सलाहकार के रूप में दिखाई दिए. इस बीच गहलोत सरकार की योजनाओं की खूब चर्चा हुईं और कमियों पर भी प्रकाश डाला गया.
इस बीच राजस्थान कांग्रेस की सबसे बड़ी अंदरूनी कलह पर विराम लगाते हुए हाईकमान ने सचिन पायलट की तीनों मांगों को मान लिया. इस बैठक में सभी वक्ताओं ने खुलकर अपने दिल की बात कही है. जहां बैठक में अधिकांश उन विधायकों और मंत्रियों को ही बुलाया गया था जो दोनों ओर से बयानबाजी नहीं करते हैं. संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बैठक के बादसचिन पायलट के लिए संभावनाओं की गली छोड़ते हुए मुख्यमंत्री के चेहरे की घोषणा ना करने की बात कही है. हालांकि कांग्रेस आलाकमान द्वारा पायलट की तीनों मांगों को मानने के बाद सचिन ने भी इस बात पर सहमति जता दी है कि उन्हें पार्टी में जो भी पद दिया जाएगा वह उसे मान लेंगे.
महाबैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सीएम गहलोत की योजना की तारीफ करते हुए कहा कि आपकी योजनाओं के दो पेज मेरे पास हैं लेकिन आपकी शिकायतों के भी दो पेज मेरे पास आए हैं. आगे एससी, एसटी पर अत्याचार के मामले में गंभीरता बरतने की जरूरत बताई है. जहां राहुल गांधी ने भी गहलोत सरकार की योजनाओं को सराहा लेकिन कहा कि सभी को एकजुट होने की जरूरत है.इस बीच राहुल गांधी ने गहलोत-पायलट को नसीहत देते हुए पुरानी बातें भूलने के लिए भी कहा.
महाबैठक में कर्नाटक की चर्चा करते हुए खरगे ने कहा कि कर्नाटक की तर्ज पर चुनाव लड़ा जाएगा. टिकट का सर्वे हो रहा है जिसका नाम भी सर्वे में आएगा उन्हें ही टिकट मिलेगा. मौजूद लोगों के नाम यदि इस सर्वे में नहीं आते हैं तो उनका टिकट कट सकता है. इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष ने बताया कि इस साल के सितंबर महीने में टिकट की घोषणा की जा सकती है. बता दें, कर्नाटक मॉडल के तर्ज़ पर राजस्थान का चुनाव लड़ने का ज़िक्र होने के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि गहलोत-पायलट मुख्यमंत्री सिद्दरमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के तर्ज पर नज़र आएंगे.