जोश में होश खो बैठे अधीर रंजन और लालू के लाल, दे डाली मुहर्रम की बधाई

पटना, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर विवादित बयान देने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद अधीर रंजन चौधरी फिर एक बार विवादों में आ गए हैं, अब उन्होंने देश के मुस्लिम समाज के लोगों को मुहर्रम की बधाई देकर एक और गलती कर दी है, लेकिन जैसे ही उन्हें अपनी इस गलती का अहसास […]

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जोश में होश खो बैठे अधीर रंजन और लालू के लाल, दे डाली मुहर्रम की बधाई

Aanchal Pandey

  • August 9, 2022 6:15 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

पटना, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर विवादित बयान देने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद अधीर रंजन चौधरी फिर एक बार विवादों में आ गए हैं, अब उन्होंने देश के मुस्लिम समाज के लोगों को मुहर्रम की बधाई देकर एक और गलती कर दी है, लेकिन जैसे ही उन्हें अपनी इस गलती का अहसास हुआ उन्होंने बधाई वाला ट्वीट डिलीट कर दिया लेकिन तब तक ये ट्वीट वायरल हो गया था. अब सोशल मीडिया पर लोग अधीर रंजन चौधरी को खूब ट्रोल कर रहे हैं, लेकिन बता दें मुहर्रम पर बधाई देने वाले अधीर रंजन अकेले नहीं है, बल्कि लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने भी मुहर्रम पर बधाई दे दी है.

तेजस्वी ने क्या कहा

आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बेटे तेज प्रताप यादव ने भी मीडिया से बात करते हुए मुहर्रम की बधाई दे दी. उन्होंने कहा, देशभर में सभी मुस्लिम भाइयों को मुहर्रम की बधाई देता हूँ. सोशल मीडिया पर ये वीडियो भी वायरल हो रहा है और लोग उन्हें ट्रोल कर रहे हैं.

क्यों नहीं दी जाती मुहर्रम की बधाई

इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम का होता है, इस महीने की शुरुआत 31 जुलाई से होती है. महीने के 10वें दिन को रोज-ए-आशुरा के रूप में मनाया जाता है. इस दिन शोक मनाया जाता है, वहीं शिया मुस्लिम इसे गम का महीना कहते हैं. कहा जाता है कि 1400 साल पहले कर्बला में हुई इंसान की जंग में पैगंबर हजरत मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन 72 लोगों के साथ शहीद हो गए थे, कहा जाता है कि उन्होंने इस्लाम की रक्षा के लिए खुद को शहीद कर दिया था. यही वजह है कि इस दिन काले कपड़े पहनकर शोक व्यक्त किया जाता है और शिया समुदाय मातम मनाता है. वहीं सुन्नी समुदाय रोजा-नमाज करके अपना दुख प्रकट करता है, इसलिए मुहर्रम के मौके पर बधाई नहीं दी जाती है. इस दिन इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए उन्हें नमन किया जाता है और शोक मनाया जाता है.

 

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