नोएडा: अगर आप नोएडा के निवासी हैं या सेक्टर 18 से होकर सेक्टर 60 या गाजियाबाद, एक्सटेंशन जाने के लिए एलिवेटेड रोड का सहारा लेते हैं तो आपको संभलकर चलने की जरूरत है क्योंकि इस रुट पर आज कल कैमरा मॉनिटरिंग ना होने से गाड़ियां बेकाबू होकर दौड़ रही है. ऐसे में इस रास्ते पर […]
नोएडा: अगर आप नोएडा के निवासी हैं या सेक्टर 18 से होकर सेक्टर 60 या गाजियाबाद, एक्सटेंशन जाने के लिए एलिवेटेड रोड का सहारा लेते हैं तो आपको संभलकर चलने की जरूरत है क्योंकि इस रुट पर आज कल कैमरा मॉनिटरिंग ना होने से गाड़ियां बेकाबू होकर दौड़ रही है. ऐसे में इस रास्ते पर तीसरी आँख के बंद होने से खतरा बढ़ गया है. अगर ये आंख खुली होती या काम कर रही होती तो शायद आज दो पत्रकारों की जान बचाई जा सकती.
इस रोड की शुरुआत होने पर माना गया था कि सेक्टर 18 से सेक्टर 66, 62, पर्थला चौक के रास्ते एक्सटेंशन जाना अब आसान हो जाएगा. और ऐसा हुआ भी लेकिन तेज रफ्तार की वजह से हादसा होने का ख़तरा बढ़ गया है. रविवार सुबह बाइक सवार दो पत्रकार, मनोज कुमार (45) और गौरव सिंह (38) इसी हादसे का सवार हो गए हैं. दोनों पत्रकार रविवार सुबह फिल्म सिटी के एक समाचार चैनल के दफ्तर से गाजियाबाद अपने घर जाने के लिए निकले थे लेकिन वह घर नहीं पहुंच पाए.
इस सड़क दुर्घटना पर पुलिस ने बताया कि मदर डेयरी दूध पहुंचाने वाली वैन ने दोनों पत्रकारों की बाइक को टक्कर मार दी थी. ये टक्कर एलिवेटेड रोड पर हुई थी. ये टक्कर इतनी भीषण थी कि बाइक ड्राइवर का हेलमेट चकनाचूर हो गया था जबकि पीछे बैठे शख्स ने हेलमेट लगाया ही नहीं था. टक्कर लगने के बाद बाइक 50 मीटर तक फिसलती गई और एलिवेटेड रोड की दीवार से जाकर भीड़ गई. हादसे के बाद से वैन ड्राइवर फरार है जिसे पुलिस ढूंढ रही है. अगर आप कभी इस रास्ते से गुजरे होंगे तो आपको इस बात का अंदाजा होगा कि यहां से गुजरने वाली गाड़ियों की रफ़्तार क्या होती है.
एलिवेटेड रोड की लंबाई करीब 4.6 किमी है जिसपर कुछ समय पहले ही कैमरे लगाए गए थे. ये कैमरे इस्कॉन मंदिर के पास लगाए गए थे लेकिन इस तीसरी आंख का तोड़ भी वाहन चालकों ने निकाल लिया था जो कैमरे से 100-200 मीटर पहले वाहन धीमा कर लेते लेकिन 200 मीटर बाद गाड़ी दौड़ाने लगते. बता दें, यदि कोई इस रोड़ पर जानबूझकर गाड़ी तेज भगाता है तो इस कैमरे की मदद से उसका चालान हो जाता है. दुखद बात ये है कि यहां से 15 दिन पहले कैमरा हटा दिया गया था. जानकारी के अनुसार इस रूट पर लाइटिंग और पोल बदलने का काम भी चल रहा था. यहां 15 दिन से हालात ये हैं कि लोग मनमर्ज़ी से गाड़ी चला रहे हैं और ओवरस्पीडिंग की घटना हद से ज़्यादा है.
यहां बड़ी लापरवाही ये है कि पोल बदल गए लेकिन कैमरा फिर नहीं लगाया गया जिससे गाड़ी चलाने वालों की मनमर्ज़ी बढ़ गई और इस रास्ते पर कोई चालान नहीं हुआ. यहां तक की यहां पर कोई पुलिसकर्मी तैनात भी नहीं था. दूसरी ओर एलिवेटेड रोड पर भारी वाहनों के लिए 40 और हल्की गाड़ियों के लिए 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार तय थी. लेकिन कैमरा ना होने की वजह से यहां गाड़ियां अंधाधुंध रफ़्तार से दौड़ा करती थीं. अगर इस रोड़ पर समय से कैमरा इनस्टॉल हो जाते तो शायद दोनों पत्रकारों की जान बचाई जा सकती. हालात तो यहां तक खराब हैं कि पुलिस खुद मानती है कि इस रूट पर लोग 100 किमी की रफ़्तार पर गाड़ी भगाते हैं लेकिन कोई सुरक्षा को देखते हुए कोई कदम नहीं उठाता.