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अब्दुल्ला आजम ने दो बार लड़ा चुनाव, दोनों बार कोर्ट ने छीनी विधायकी, दर्ज हुआ शर्मनाक रिकॉर्ड

लखनऊ : समाजवादी पार्टी के महासचिव आजम खान के बेटे और विधायक अब्दुल्ला आजम की विधायकी एक बार फिर चली गई है. विधायकी जाने के बाद अब्दुल्ला आजम के नाम अजब रिकॉर्ड दर्ज हो गया है. अब्दुल्ला आजम देश के ऐसे पहले नेता हैं जिन्होंने अब तक 2 चुनाव लड़ा है और दोनों ही बार कोर्ट से उनकी विधायकी छीन ली गई. दोनों ही बार अब्दुल्ला आजम स्वार-टांडा विधानसभा सीट से चुने गए.

छजलैट केस में कोर्ट ने सुनाई सजा

अब्दुल्ला आजम को पिछले सोमवार को 2 साल की सजा सुनाए जाने के बाद इनकी सीट रिक्त घोषित कर दी गई, इसी के साथ अब्दुल्ला की विधायकी चली गई. पहली बार अब्दुल्ला आजम स्वार-टांडा से चुनाव लड़े थे और चुनाव जीते थे. जैसे ही अब्दुल्ला आजम को टिकट मिला वैसे ही वे विरोधियों के निशाने पर आ गए. 2017 के चुनाव में उनकी प्रतिद्वंदी प्रत्याशी नकाब काजिम अली खां ने उम्र का विवाद उठाते हुए नामांकन पर आपत्ति लगाई थी.

होईकोर्ट ने रद्द की थी विधायकी

इस आपत्ति पर सुनवाई के दौरान वकीलों के बीच बहस हुई और फिर उस वक्त के स्वार विधानसभा क्षेत्र के निवार्चन अधिकारी ने अब्दुल्ला आजम के पर्चें को वैध करार दिया था. लेकिन उनके प्रतिद्वंदी नवाब काजिम अली खां ने हार नहीं मानी और मामले को हाईकोर्ट तक ले गए थे. करीब 2 साल तक केस चला उसके बाद हाईकोर्ट ने अब्दुल्ला आजम के निवार्चन को शून्य करार दिया था और उसके बाद उनकी विधायकी चली गई.

दर्ज की थी ऐतिहासिक जीत

सपा के कद्दावर नेता आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम ने विधानसभा का पहला चुनाव भले ही कम उम्र मे लड़ा हो लेकिन 2017 के चुनाव में उन्होंने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी. उन्होंने पहला चुनाव 47 हजार से अधिक वोटों से जीता था. पहली बार चुनाव जीतने के बाद वे 2 साल से अधिक विधायक रहे थे लेकिन दूसरी बार चुनाव जीतने के बाद एक साल से भी कम समय में विधायकी चली गई.

उपचुनाव में बीजेपी लगा सकती है बड़ा दाव

अब्दुल्ला आजम की विधायकी जाने के बाद उपचुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई है. सभी पार्टियों अपना जोर लगना शुरू कर दी है. सपा को इस सीट पर जीतना बहुत जरूरी है क्योंकि ये सपा का गढ़ माना जाता है. वहीं भारतीय जनता पार्टी भी उपचुनाव के लिए तैयारियां शुरू कर दी है.

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