नई दिल्ली: इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक अनोखा मामला सामने आया, जिसमें पति ने अपनी पत्नी के खिलाफ तलाक की याचिका दायर की थी। याचिका में पति ने दावा किया था कि पत्नी लंबे समय से यौन संबंध बनाने से इनकार कर रही है और इसे तलाक का आधार माना जाए। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति डोनादी रमेश की बैंच के सामने हुई।
इस पर हाई कोर्ट ने कहा की कि पति-पत्नी के बीच शारीरिक अंतरंगता किस प्रकार बनाए रखी जाए, यह मुद्दा न्यायिक निर्धारण का नहीं है। हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि लंबे समय तक यौन संबंध से इनकार तलाक का कारण बन सकता है। बता दें, यह मामला एक डॉक्टर कपल का है, जिनकी शादी जून 1999 में हुई थी और उनके दो बच्चे भी हैं। पति दिल्ली में अपना निजी क्लीनिक चलाते हैं और पत्नी भारतीय रेलवे से रिटायर्ड हैं।
शादी के नौ साल बाद पति ने मिर्जापुर पारिवारिक न्यायालय में क्रूरता के आधार पर तलाक की अर्जी दाखिल की, जिसमें उसने आरोप लगाया कि धार्मिक गुरु के प्रभाव में आकर पत्नी ने यौन संबंध बनाने से इनकार कर दिया था। पत्नी ने इन आरोपों का खंडन किया और कहा कि दो बच्चों का जन्म इस बात का प्रमाण है कि उनके बीच सामान्य और स्वस्थ संबंध थे।
हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि दोनों के बीच सामान्य वैवाहिक संबंध थे और शादी के शुरुआती वर्षों में दो बच्चों का जन्म हुआ था। कोर्ट ने कहा कि इन तथ्यों के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि पत्नी ने यौन संबंधों से इनकार किया। इस निष्कर्ष के साथ,हाई कोर्ट ने पति की अपील को खारिज कर दिया और फैमिली कोर्ट के फैसले को सही ठहराया।
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