एक ऐसा मंदिर जो दो बार लेता है जल समाधी, धार्मिक मान्यता जान कर दंग रह जायेंगे आप !

अहमदाबाद: सावन माह के पावन अवसर पर आप सभी शिवजी के मंदिर जा कर पूजा-अर्चन करते है। आज हम आप को ऐसे ही शिव मंदिर के बारे में बताएँगे जिसे समुद्र देवता सुबह-शाम जलाभिषेक करते है। यह शिव मंदिर दिन में दो बार जलमग्न हो जाता है। श्री स्तंभेश्वर महदेव जी का मंदिर गुजरात के […]

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एक ऐसा मंदिर जो दो बार लेता है जल समाधी, धार्मिक मान्यता जान कर दंग रह जायेंगे आप !

Manisha Shukla

  • July 10, 2024 10:03 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 months ago

अहमदाबाद: सावन माह के पावन अवसर पर आप सभी शिवजी के मंदिर जा कर पूजा-अर्चन करते है। आज हम आप को ऐसे ही शिव मंदिर के बारे में बताएँगे जिसे समुद्र देवता सुबह-शाम जलाभिषेक करते है। यह शिव मंदिर दिन में दो बार जलमग्न हो जाता है।

श्री स्तंभेश्वर महदेव जी का मंदिर गुजरात के भरुच जिले से 80 किलोमीटर दूर जंबूसर तहसील के कावी कंबोई गाँव में स्थित है। इस मंदिर की जादुई लीला देख हर कोई हैरान है। इस मंदिर की विशेषता यही है की समुद्र देवता सुबह-शाम जलाभिषेक करते है। आप इस दिव्य घटना के साक्षी बन सकते है। अगर आप इस मंदिर के दर्शन करने का सोच रहे है तो यह बिलकुल खर्चीला नहीं है। आप गुजरात से भरुच तक ट्रैन या बस द्वारा जा सकते हैं। भरुच पहुंचते ही आपको जंबूसर तहसील के लिए बस मिल जाएगी और जंबूसर पहुँचते ही आप वहाँ के स्थनीय साधन से स्तंभेश्वर महदेव मंदिर पहुँच जाएंगे।

मंदिर की धार्मिक मान्यता

शिवपुराण के अनुसार तारकासुर नाम के राक्षस ने भगवान भोलेनाथ को अपनी तपस्या से प्रसन्न कर लिया था। भगवान शिवजी तारकासुर की तपस्या से खुश हुए और उन्होंने उसे मनचाहा वरदान मांगने के लिए कहा। ऐसे में तारकासुर ने भगवान से वरदान माँगा कि शिव पुत्र के अलावा उसे कोई नहीं मार सकता लेकिन इस दौरान उनके पुत्र की आयु 6 दिन से अधिक नहीं होनी चाहिए।

महादेव ने तारकासुर को यह वरदान दे दिया था। वरदान प्राप्त होते ही तारकासुर ने तीनों लोकों में तबाही मचाना शुरू कर दिया था। इस तबाही से परेशान देवताओं ने शिवजी से प्रार्थना की। भगवान शिवजी इसका कोई उपाए निकाले और तारकासुर का वध हो। श्वेत पर्वत कुंड से 6 दिन के कार्तिकेय ने जन्म लिया और राक्षस का वध किया। हालांकि, कार्तिकेय को अपनी गलती का अहसास हुआ की उसने अपने पिता के सच्चे भक्त का वध किया। इस दुःख से बहार आने के लिए भगवान विष्णु ने कार्तिकेय को प्रायश्चित करने का एक मौका दिया। भगवान विष्णु ने सुझाव दिया कि जहाँ तारकासुर का वध किया है, वहीं वो शिवलिंग की स्थापना करें। भगवान विष्णु के कहने पर कार्तिकेय ने बिलकुल ऐसा ही किया, जिसके बाद से यह मंदिर स्तंभेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाने जाना लगा।

एक ऐसा मंदिर जो दो बार लेता है जल समाधी, धार्मिक मान्यता जान कर दंग रह जायेंगे आप !

स्तंभेश्वर महदेव मंदिर

क्यों समा जाता है मंदिर समुद्र की गोद में ?

यह मंदिर सुबह शाम दो बाद समुद्र की गोद में समा जाता है। इसके पीछे का करना प्राकृतिक कारण है लेकिन इस घटना को लोग किसी अजूबे से कम नहीं मानते। यह मंदिर समुद्र के बीचो-बीच है, ऐसे में जब दिन में पानी का स्तर बढ़ जाता है, तो मंदिर पूरी तरह से पानी में डूब जाता है,और जब पानी का स्तर कम हो जाता है तब यह मंदिर दिखाई देने लगता है। इस घटना को देखने के लिए लोग रात तक रुक कर जाते है।

स्तंभेश्वर महादेव मंदिर में हर साल महाशिवरात्रि और अमावस्या पर बहुत बड़े मेला का आयोजन होता है। इस मेले को देखने के लिए आसपास के गांव के अलावा दूर-दूर से शिव भक्त आते हैं।

 

 

 

 

 

 

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